नैनीताल। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पशुवधशाला (बूचड़खाना) के अभाव में मांस की हो रही अवैध बिक्री एवं नगर निगम और खाद्य महकमे की लापरवाही को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने निगम एवं खाद्य सुरक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने शुक्रवार को देहरादून निवासी विकेश सिंह नेगी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश जारी किये। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि देहरादून नगर निगम की ओर से शहर में पशुओं के वध एवं मांस की बिक्री के लिये 2015 में नगर निगम देहरादून पशु वध उप नियम बनाये गये हैं।
साथ ही पशुओं के वध के लिये भंडारी बाग में एक बूचड़खाना भी बनाया गया। वर्ष 2018 बूचड़खाना को बंद कर दिया गया। बूचड़खाना के बंद होने से शहर में अवैध ढंग से मांस की बिक्री होने लगी। पशुओं को मारने से पहले उनकी भलिभांति जांच नहीं की जा रही है। नियमों के अनुसार जांच के बाद ही पशुओं का वध किये जाने का प्रावधान है।
इसमें बीमार पशु को मारने का प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया मांस विक्रेताओं की ओर से सरासर नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है। इस मामले में नगर निगम एवं खाद्य सुरक्षा विभाग भी आंख मूंदे बैठे हैं। दोनों जिम्मेदारी से बच रहे हैं और एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से नियमों का कड़ाई से पालन कराने और देहरादून में बूचड़खाना खुलवाने के साथ ही पूरे प्रदेश में देहरादून पशु वध उप नियम, 2015 के अनुसार योजना तैयार करने की मांग की गयी है।