गुजरा जमाना :  अजीब दास्ताँ है यह – Polkhol

गुजरा जमाना :  अजीब दास्ताँ है यह

         अजीब दास्ताँ है यह

               कहाँ शुरू कहाँ ख़त्म

               ये मंज़िलें हैं कौन सी

               नो वो समझ सके ना हम

जी हाँ, ज़िंदगी एक अजीब दास्ताँ ही तो है जिसे कहाँ कोई समझ पाया है। इस समझने ना समझने के चक्कर में जाने कितने ही कहानीकार आये और चले गये लेकिन ज़िंदगी का फ़लसफ़ा कोई समझा ना पाये। देखा जाये तो ज़िंदगी बस एक जीने का तरीक़ा ही तो है

लता जी जैसी शख़्सियत जिन्हें शायद ही कभी किसी चीज़ की कमी रही हो लेकिन वह भी अपना घर बसाने का सोच ही नहीं पाईं।अपने परिवार की कशमकश के चलते उन्हीं की मुश्किलों को आसान करतीं वह कब ज़िंदगी के उस मुक़ाम पर पहुँच गयीं जहां शादी करने का ख़याल ही उनके जहन में नहीं आया। वह बात अलग है के हर पड़ाव पर उन्हें अपने पिता भाई बहनों का साथ हमेशा मिलता रहा। देखा जाये तो हर मायने में लता जी का जीवन मात्र जीवन नहीं बल्कि एक उदाहरण रूप है। कैसे ज़िंदगी के हालातों से झूझती, सबकी ज़िंदगी में अपने संगीत के स्वर बिखेरती प्रेरणा स्त्रोत लता जी हमारे दिलों में सदा ही रहेंगी। संगीत जगत में उन जैसा दूसरा रत्न होना नामुमकिन के बराबर सा ही है।

मेरे विचार:

लता मंगेशकर जी का नाम शब्दों का या किसी परिचय का मोहताज नहीं लता जी जैसी विभूतियाँ जन्म नहीं लेती अपितु अवतरित होती है। संगीत के हर दौर में चाहे वो ब्लैक एंड व्हाइट का दौर हो चाहे आज का आधुनिक दौर लता जी की गायिकी हर दौर में क़ायम रही है। लता जी का संपूर्ण जीवन सभी के लिए प्रेरणा दायक है 13 साल की उम्र में गायिकी के मंच पर उतरी छोटी सी लता ने ना कभी पीछे मुड़कर देखा और ही कभी अपने बारे में ही सोचा। अपने परिवार की जद्दोजहद से जूझती लता कब उम्र के उस पड़ाव पर पहुँचगई जहां शायद बस अब गायिकी ही उनका लक्ष्य था। अपने बाक़ी सपनों को पीछे छोड़ती हुई गायिकी के परचम पे पहुँच उन्होंने अपना ध्वज लहराया।

संगीत को ही अपना संपूर्ण जीवन समर्पित कर लता जी ने अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा से निभाया।

अपनी आवाज़ से सबको मंत्रमुग्ध करने वाली लता ने जब सरहद पर जाके देश के जवानों के बीच जोश से भरे अन्दाज़ में सभी जवानोंको जोश से भर दिया था जब उन्होंने अपनी मोहित करने वाली आवाज़ में मेरे वतन के लोगोंगीत गाया। यह गीत आज भी रूह को अंदर तक छू जाता है।

९२ वर्षों तक भारतीय संगीत साधना और सेवा के लिए हम सभी भारतवासी सदैव आपके आभारी रहेंगे और आप हमेशा हमारे साथमौजूद रहेंगी बिलकुल अपने गीत के बोलों की तरहा

मेरी आवाज़ ही पहचान है

  • अनुभा

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *