नैनीताल। देश के प्रसिद्ध कार्बेट टाइगर रिजर्व (सीटीआर) के कालागढ़ वन प्रभाग में टाइगर सफारी के नाम पर अवैध निर्माण व पेड़ों के पातन के आरोप में जेल में बंद भारतीय वन सेवा के सेवाननिवृत्त अधिकारी किशन चंद को उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को सशर्त जमानत प्रदान कर दी।
आरोपी के जमानत प्रार्थना पत्र पर न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ में सुनवाई हुई। सरकार की ओर से कहा गया कि पूर्व आईएफएस पर गंभीर आरोप हैं। आरोप है कि कालागढ़ वन प्रभाग के पाखरो एवं में 2.49 करोड़ का विभिन्न मद में अवैध निर्माण कराया गया है। इसके लिये विभाग से कोई अनुमति नहीं ली गयी है।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया कि आरोपों की सतर्कता विभाग की ओर से जांच की जा रही है। आरोप पत्र दाखिल कर लिया गया है। ऐसे में जमानत प्रदान करना उचित नहीं है।
दूसरी ओर आरोपी की ओर से कहा गया कि उस पर लगाये गये आरोप बेबुनियाद हैं। निर्माण कार्यों के लिये विभागीय अनुमति ली गयी है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए), टाइगर फाउंडेशन व कैम्पा परियोजना के नियमों व गाइडलाइन के अनुसार विभिन्न कार्य किये गये हैं।
आगे कहा गया कि किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता नहीं की गयी है। आरोपी की ओर से यह भी कहा गया कि वह गंभीर रूप से बीमार है। उसके सीने में दर्द रहता है। चिकित्सकों के अनुसार उसके 90 प्रतिशत आर्टिलरी बंद हैं। पिछले साल 27 दिसंबर, 2022 को उसका मैक्स अस्पताल में आपरेशन किया जाना सुनिश्चित था लेकिन 23 दिसंबर, 2022 को विजिलेंस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
अंत में अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आरोपी को सशर्त जमानत प्रदान कर दी। अदालत ने कहा कि आरोपी को अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट (निचली अदालत) में जमा कराना होगा। साथ ही कहा कि आरोपी जमानत का दुरूपयोग नहीं कर सकेगा। आरोपी ट्रायल कोर्ट में नियमित हाजिरी देगा। अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि यदि आरोपी जमानत का दुरूपयोग करता है तो सरकार जमानत निरस्त कराने के लिये अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है।