नैनीताल। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन (टीएचडीसी) द्वारा विधि अधिकारियों की नियुक्तियों में दिव्यांग कोटे का पालन न करने पर नोटिस जारी कर चार सप्ताह जबाव दाखिल करने को कहा है।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने आज की। इस मामले को उमंग भारद्वाज की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि टीएचडीसी की ओर से वर्ष 2022 में कार्यपालक प्रशिक्षु/विधि अधिकारियों के पांच पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया।
याचिकाकर्ता ने भी दिव्यांग कोटे के तहत आवेदन किया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह 50 प्रतिशत से अधिक दिव्यांग है। यही नहीं उसने क्लैट परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर प्रथम स्थान हासिल किया है।
याचिकाकर्ता के वकील डॉ कार्तिकेय हरि गुप्ता ने दलील दी है कि टीएचडीसी ने दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षण अधिनियम, 2016 का उल्लंघन किया है। कुल पदों का चार प्रतिशत पद दिव्यांग कोटे से भरे जाने थे।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि प्रावधान है कि कोटे के तहत यदि कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं पाया जाता है तो भी दिव्यांग कोटे के पदों को रिक्त रखा जाना चाहिए था तथा आगामी रिक्तियों के साथ भरा जाना चाहिए था। अदालत ने टीएचडीसी को इस मामले जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने चयनित उम्मीदवारों को भी नोटिस जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई 18 सितंबर को होगी।