नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में देशी शराब के ट्रेटा पैक में बिक्री पर लगी रोक को बढ़ा दिया है। सरकार शुक्रवार को अदालत को संतुष्ट नहीं कर पायी। अब सोमवार को फिर सुनवाई होगी।
इस मामले में आज मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में सुनवाई हुई। सरकार की ओर से कहा गया कि एक साल में 10 करोड़ ट्रेटा पैक की बिक्री होगी और इतने ट्रैटा पैक अस्तित्व में आयेंगे। ट्रेटा पैक 75 से 95 प्रतिशत बायोडिग्रेडिबल है और इससे पर्यावरण को कम नुकसान है।
इसके साथ ही उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में यह योजना पहले से लागू है। इससे अदालत संतुष्ट नजर नहीं आयी। इसी दौरान अदालत के संज्ञान में लाया गया कि सरकार चार धाम यात्रा के दौरान प्लास्टिक जनित कूड़े की रोकथाम के लिये क्यूआर कोड योजना को अमल में ला रही है। इस पर सिंगल यूज प्लास्टिक को वापस करने पर तय धनराशि पर्यटकों को वापस मिल सकेगी।
अदालत ने सरकार से पूछा है कि इस योजना को ट्रेटा पैक के संदर्भ में प्रदेश में कैसे लागू किया जा सकेगा। अब सरकार को सोमवार को इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी है। अदालत के रूख से साफ है कि वह प्लास्टिक कचरे के मामले में गंभीर है और वह आसानी से सरकार को मोहलत देने के मूड में नहीं है।
अदालत ने सुनवाई के दौरान बेहद सख्त टिप्पणियां भी कीं। अदालत ने कहा कि उत्तराखंड बेहद खूबसूरत राज्य है और उसकी पारिस्थितीकी को बचाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक कूड़े पर रोक लगाने के लिये योजनायें बन रही हैं लेकिन धरातल पर ठोस कार्य नहीं हो रहा है। सरकारी योजनाओं का सही से क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। इससे हजारों लोग लाभान्वित हो रहे हैं लेकिन स्थिति जस की तस है।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका दायर कर कहा गया कि प्रदेश सरकार की नयी आबकारी नीति के तहत देशी शराब के 200 मिली लीटर के निप्स को ट्रेटा पैक में बेचने की योजना है। अगले महीने से यह योजना शुरू हो जायेगी।
प्रतिदिन एक करोड़ शराब के ट्रेटा पैक अस्तित्व में आयेंगे। इससे प्रदेश के पर्यावरण को नुकसान का अंदेशा है। पिछली सुनवाई को अदालत ने ट्रेटा पैक की बिक्री पर रोक लगा दी थी।