नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने गुरूवार को एनएच घोटाला के आरोपियों को झटका देते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है।
दरअसल निचली अदालत ने पिछले वर्ष 28 अप्रैल को एक आदेश जारी कर एनएच घोटाला के सभी आरोपियों के खिलाफ अलग अलग शिकायतों के आधार पर पृथक पृथक मामला दर्ज करने के निर्देश प्रवर्तन निदेशालय को दिये थे। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की ओर से सभी आरोपियों के खिलाफ अलग अलग वाद दायर किया था।
मुख्य आरोपी डीपी सिंह के खिलाफ अकेले सात अभियोग हैं। इसके बाद डीपी सिंह, अर्पण कुमार, संजय कुमार चौहान, विकास कुमार, भोले लाल, भगत सिंह फोनिया, मदन मोहन पलड़िया, बरिंदर सिंह, बलवंत सिंह, रमेश कुमार एवं ओम प्रकाश की ओर से निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गयी।
आरोपियों की ओर से कहा गया कि निचली अदालत का फैसला गलत है। पहले दर्ज वाद को वापस नहीं लिया जा सकता है। वाद की प्रकृति एक ही है और अलग अलग मुकदमें दर्ज होने से आरोपियों की मुश्किलेें बढ़ सकती हैं। हर मामले में अलग अलग औपचारिकतायें अपनानी पड़ेंगी। याचिकाकर्ताओं की ओर से निचली अदालत के फैसले को निरस्त करने की मांग की गयी।
सभी याचिकाओं पर न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की युगलपीठ में सुनवाई हुई। अदालत ने इस मामले में विगत 24 अप्रैल को निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने आज निर्णय जारी करते हुए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा। साथ ही सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
उल्लेखनीय है कि एनएच-74 घोटाले में एसआईटी की ओर से वर्ष 2017 में भारीभरकम घोटाले की पुष्टि की गयी थी। इसमें ऊधमसिंह नगर जनपद के तत्कालीन भू अध्यापित अधिकारी डीपी सिंह समेत कई आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। आरोप है कि अधिग्रहीत जमीन का बैक डेट में लैंड यूज बदल कर आरोपियों की ओर से राजस्व को भारी चूना लगाया है। इस प्रकरण में 24 से अधिक आरोपी गिरफ्तार किये जा चुके हैं। इनमें पीसीएस अधिकारियों के साथ ही तहसीलदार, नायब तहसीलदार के अलावा किसान व कुछ बिल्डर शामिल हैं।