द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम के कपाट खुले – Polkhol

द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम के कपाट खुले

पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर धाम के कपाट सोमवार को वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि विधान के साथ भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिए गए। भगवान मदमहेश्वरआगामी छह माह के लिए भक्तों को यहीं दर्शन देंगे।

वहीं भगवान की उत्सव डोली रात्रि विश्राम के बाद 21 मई को दूसरे पड़ाव स्थल सीमांत गांव गौंडार पहुंची। जहां डोली का ग्रामीणों ने पुष्प एवं अक्षतों से जोरदार स्वागत किया गया। डोली के रवानगी के दौरान सैकड़ों भक्तों के जयकारों से क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय हो उठा।

पूर्वाह्न 11 बजे धाम के कपाट तीर्थयात्रियों को दर्शनार्थ खुल गये

आज प्रात: 22 मई को मदमहेश्वर जी की डोली गौंडार से श्री मदमहेश्वर मंदिर पहुंची तथा 11 बजे पूर्वाह्न को धाम के कपाट तीर्थयात्रियों को दर्शनार्थ खुल गये। पुजारी बागेश लिंग ने कपाट खुलने की प्रक्रिया संपन्न की।

गत शनिवार को शीतकालीन गददीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के द्वितीय केदार भगवान मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली रात्रि विश्राम के लिए राकेश्वरी मंदिर रांसी पहुंची थी। रविवार को सुबह साढे़ सात बजे रांसी में मदमहेश्वर धाम के प्रधान पुजारी बागेश लिंग भगवान मदमहेश्वर की डोली विशेष पूजा अर्चना कर भोग लगाया।

इस दौरान रांसी के ग्रामीणों ने मदमहेश्वर भगवान के दर्शन कर अपने परिवारक की खुशहाली की कामना की। जैसे ही द्वितीय केदार मदमहेश्वर की चल विग्रह उत्सव डोली अपने अगले पड़ाव गौंडार के लिए रवाना हुई, वैसे ही सैकड़ों भक्तों की जयकारों एवं वाद्य यंत्रों से क्षेत्र का पूरा वातावरण गुंजायमान हो उठा।

राकेश्वरी मन्दिर रांसी की तीन परिक्रमा करने के बाद भगवान की उत्सव डोली रात्रि प्रवास के लिए सीमांत गांव गौंंडार गांव पहुंची थी।

बद्री-केदार मंदिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी व सुपरवाइजर युद्धवीर पुष्वाण ने बताया कि सोमवार को पौराणिक रीति रिवाजों के साथ द्वितीय केदार मदमहेश्वर धाम के कपाट खोल दिए गए हैं। जिसके बाद भक्त यहां पर भी दर्शन कर सकेंगे।

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