नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने तीर्थ नगरी हरिद्वार में कुष्ठ रोगियों के आश्रम को लेकर सरकार द्वारा की जा रही हीलाहवाली के मामले में स्वास्थ्य महकमे के महानिदेशक को आगामी छह जून को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये हैं। साथ ही समाज कल्याण विभाग को छह जून तक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भी प्रस्तुत करने को कहा है।
देहरादून की एक्ट नाउ वेलफेयर सोसाइटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुए मंगलवार को ये निर्देश जारी किये। न्यायमित्र अधिवक्ता भुवनेश कांडपाल की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार की ओर से कुष्ठ रोगियों के सेल्टर होम के मामले में ठोस पहल नहीं की गयी है।
समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव एल फेन्नई व डीजी आज अदालत में वर्चुअली पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि यह मामला उनके महकमे के अंतर्गत नहीं बल्कि स्वास्थ्य महकमे के तहत आता है।
अंत में अदालत ने डीजी हेल्थ को निर्देश दिये कि वह अगली तिथि को अदालत में पेश हो। यही नहीं समाज कल्याण विभाग को कहा कि जल्दी डीपीआर तैयार काने और अगली सुनवाई 6 जून की तिथि तक अदालत में पेश करने को कहा है।
यहां बता दें कि सोसाइटी की ओर से कहा गया कि सन् 2018 में राष्ट्रपति की यात्रा के मद्देनजर प्रशासन ने गंगा माता कुष्ट आश्रम के कुष्ठ रोगियों के सेल्टर को हटा दिया था। सरकार की ओर से अभी तक इस प्रकरण में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कुष्ठ रोगी खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।