नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल जिला अस्पताल (बीडी पांडे अस्पताल) में लचर स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में सचिव स्वास्थ्य को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। साथ ही 2018 में दिये गये आदेश के आलोक में 15 बिन्दुओं पर प्रगति रिपोर्ट भी पेश करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में नैनीताल निवासी अशोक साह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि नैनीताल एक पर्यटक स्थल है। मंडल मुख्यालय में हाईकोर्ट के अलावा प्रमुख संस्थान मौजूद हैं।
जिला अस्पताल में चिकित्सकों व स्टाफ की कमी है। विशेषज्ञ चिकित्सकों मौजूद नहीं हैं। कार्डियोलॉजी जैसे मामले में चिकित्सक मौजूद नहीं है। उपकरणों की कमी के साथ ही उन्हें चलाने वाले प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं हैं। सिटी स्कैन मशीन भी विशेषज्ञ के अभाव में जंक खा रही है।
आगे कहा कि बीडी पांडे अस्पताल रैफरल अस्पताल बन गया है। यहां उपचार मिलने के बजाय मरीजों को हल्द्वानी रैफर कर दिया जाता है। याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि हाईकोर्ट ने दीपक रूबाली बनाम राज्य सरकार मामले में सन् 2018 में एक महत्वपूर्ण आदेश दिया था लेकिन सरकार की ओर से आज तक उन बिन्दुओं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है।
अदालत सरकार के जवाब से संतुष्ट नजर नहीं आयी और मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने के निर्देश दे दिये। यही नहीं अदालत ने वर्ष 2018 में जारी आदेश के क्रम में 15 बिन्दुओं पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
अदालत ने कहा है कि अस्पताल में पद के सापेक्ष कितने चिकित्सक, कर्मचारी व तकनीकी कर्मचारी मौजूद हैं। कितने उपकरण हैं। साथ ही क्या क्या स्वास्थ्य सुविधा मौजूद है, इसका पूरा ब्योरा अगली तिथि पर उपलब्ध करायें।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अकरम परवेज ने कहा कि पीठ ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव एवं अधिवक्ता विकास बहुगुणा को इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया है और अस्पताल का निरीक्षण कर एक रिपोर्ट अदालत में पेश होने के निर्देश दिये हैं। मामले की अगली सुनवाई सात मई को होगी।