नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने तीर्थ नगरी हरिद्वार की प्रसिद्ध मंशा देवी रोप-वे के आवंटन में गड़बड़ी के मामले में नगर निगम को वर्तमान लीज प्रक्रिया को 31 दिसंबर, 2023 तक ही सीमित करने और उसके बाद नये सिरे से निविदा प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिये हैं।
हरिद्वार के सामाजिक कार्यकर्ता नीरव साहू की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने ये निर्देश जारी किये हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वर्ष 1973 में हरिद्वार की तत्कालीन नगर पालिका की ओर से मंशा देवी रोप-वे का संचालन का जिम्मा वार्षिक दर पर 40 साल के लिये ऊषा ब्रेको रोपवेज लि0 नामक निजी कंपनी को दे दिया गया।
गत 15 मई, 2021 को लीज खत्म होने के बाद निगम ने पुनः 10 साल के लिये लीज बढ़ा कर इसी कंपनी के नाम कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सरकार ने अपनी नाक बचाने व कानूनी कार्यवाही से बचने के लिये 31 दिसंबर, 2021 को एकतरफा निर्णय कर रोप-वे का संचालन अगले दो साल के लिये नगर निगम को करने के निर्देश दे दिये।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि एक दिन बाद पुनः सरकार ने लीज 3.25 करोड़ रूपये वार्षिक दर पर इसी कंपनी के नाम कर दिया। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार ने नियमों का उल्लंघन कर लीज आवंटित की है।
याचिकार्ता की ओर से सरकार के 31 नवम्बर, 2021 के आदेश को निरस्त करने के साथ ही नयी निविदा जारी करने की मांग की गयी है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव भट्ट ने बताया कि अदालत ने वर्तमान लीज को 31 दिसंबर 2023 तक ही सीमित करने और नयी निविदा प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिये हैं।