नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने मंगलवार को जारी अपने अहम आदेश में राज्य सरकार को आगामी आठ सप्ताह के अंदर लोकायुक्त की नियुक्ति करने के निर्देश दिये हैं। साथ ही अनुपालन रिपोर्ट भी अदालत में पेश करने को कहा है।
हल्द्वानी निवासी रवि शंकर जोशी की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में सुनवाई हुई।
अदालत ने राज्य सरकार की कार्यशैली पर गंभीर रुख अख्तियार करते हुए राज्य सरकार की निष्क्रियता को केंद्रीय अधिनियम के साथ ही लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 63 का उल्लंघन माना।
यही नहीं अदालत ने राज्य सरकार के रवैये पर भी हैरानगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति के बिना अभी तक 29.73 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं और लोकायुक्त कार्यकाल में 24 कार्मिकों की नियुक्ति भी की गयी है।
अदालत ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि जब तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की जाती तब तक लोकायुक्त कार्यकाल के नाम पर आवंटित कोष में से एक भी पैसा खर्च नहीं किया जा सकेगा। साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह में लोकायुक्त कार्यकाल में तैनात दो दर्जन कार्मिकों का विवरण एवं उनके कार्यों का विस्तृत ब्योरा प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं। इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 10 अगस्त की तिथि निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता की ओर से एक याचिका दायर कर कहा गया कि सरकार प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर रही है। जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग पा रही है। हर मामले में अदालत का दरवाज़ा खटखटाना पड़ रहा है जबकि अन्य प्रदशों में लोकायुक्त संस्था भ्रष्टाचार के खिलाफ अच्छा कार्य कर रही है। प्रदेश में लोकायुक्त संस्था के नाम पर प्रतिवर्ष दो से तीन करोड़ खर्च किये जा रहे हैं।