नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राजधानी देहरादून में चाय बागान की भूमि को भूमाफिया द्वारा खुर्द बुर्द किये जाने और सरकार के बेहद लचीले रवैये पर सख्त रूख अख्तियार करते हुए 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही जवाब नहीं देने की स्थिति में अगली तिथि पर राजस्व सचिव को अदालत में तलब किया है।
देहरादून निवासी विकेश सिंह नेगी की ओर से दायर जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने विगत सोमवार को सुनवाई हुई, लेकिन आदेश के प्रति बुधवार को मिली।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार इस प्रकरण को लेकर गंभीर नहीं है और कई अवसर मिलने के बावजूद जवाब पेश नहीं कर रही है।
अदालत ने इस पर सख्त रूख अख्तियार करते हुए अपने आदेश में कहा कि तीन अवसर दिये जाने के बाद भी सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया है। अदालत ने सरकार को अंतिम अवसर प्रदान करते हुए तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये। साथ ही देरी के लिये 20000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
अदालत ने कहा है कि इसके बावजूद सरकार की ओर से जवाब नहीं दिया जाता है तो अगली तिथि पर राजस्व सचिव व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हों।
याचिकाकर्ता ने पिछले साल दायर जनहित याचिका में कहा है कि राजा चंद्र बहादुर की सरप्लस (आधिक्य) भूमि को 1960 में सरकार में निहित किया जाना चाहिए था लेकिन इस भूमि को सरकार में निहित नहीं किया गया। देहरादून के लाडपुर, नथनपुर, रायपुर और आदि क्षेत्रों में 350 बीघा भूमि को भूमाफियाओं की ओर से खुर्द बुर्द किया जा रहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से इस पर रोक लगाने और दोषी लोगों पर कार्यवाही किये जाने की मांग की गयी है।