नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पिथौरागढ़ के कानड़ी गांव में आरक्षित वन क्षेत्र में अवैध रूप से बनायी जा रही सड़क और खनन के मामले में दो पट्टेधारकों को अवमानना नोटिस जारी किया है। इस मामले में अब नौ अगस्त को सुनवाई होगी।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में हुई। दरअसल कानड़ी गांव निवासी नीमा वाल्दिया की ओर से इस मामले को चुनौती दी गयी है। सचिव खनन, निदेशक खनन और जिला खनन अधिकारी अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।
याचिकाकर्ता की ओर से जवाबी हलफनामा में कहा गया कि अदालत ने 11 मई को अंतरिम आदेश जारी कर पिथौरागढ़ के कानड़ी गांव में अवैध खनन पर रोक लगाने के निर्देश दिये थे लेकिन पट्टेधारकों की ओर से इसके बावजूद खनन पर रोक नहीं लगायी गयी।
दूसरी ओर सरकार की ओर से कहा गया कि अदालत के आदेश के बाद दोनों के पट्टे निरस्त कर दिये गये हैं और मौके पर पायी गयी मशीनों को भी सीज कर दिया गया है।
अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए पट्टेधारकों केएन पांडे और गगन बहादुर को अदालत के आदेश की अवमानना के मामले में नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। अदालत ने कहा है कि अदालती आदेश की नाफरमानी के मामले में क्यों नहीं दोनों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लायी जाये।
अदालत ने खनन अधिकारी को भी फटकार लगाते हुए कहा कि अदालत के आंखों में धूल नहीं झोंकी जा सकती है। अदालत ने खनन सचिव को भी निर्देश दिये कि वह इस प्रकरण में कार्यवाही करे। साथ ही अदालत ने सभी अधिकारियों को अगली सुनवाई पर वर्चुअली पेश होने को कहा है।
याचिकाकर्ता ने इसी साल एक जनहित याचिका दायर कर कहा कि पट्टेधारकों ने आरक्षित वन क्षेत्र में सड़क का निर्माण कर दिया है। जिला प्रशासन से इस मामले की शिकायत की गयी लेकिन आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं हुई।