इधर चमोली यूपीसीएल बिजलीघर की लापरवाही ने निगली बीस की जान? उधर पिटकुल के 220 केवी झाझरा सब स्टेशन पर दौड़ी आग:सीटी पीटी स्वाह – Polkhol

इधर चमोली यूपीसीएल बिजलीघर की लापरवाही ने निगली बीस की जान? उधर पिटकुल के 220 केवी झाझरा सब स्टेशन पर दौड़ी आग:सीटी पीटी स्वाह

भ्रष्टाचार और काली कमाई युक्त उपकरणों की खरीद का असर दिखने लगा : फिर ये माडर्न और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी किस काम की?

धाकड़ धामी की पकड़ से दूर या फिर…!?!? ऊर्जा निगमों पर मेहरबानी?

देहरादून/ चमोली। ऊर्जा विभाग की लापरवाहियां और इनके जिम्मेदार अधिकारियों की आरामपरस्ती से जहां आज चमोली के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में बिजली का करंट दौड़ने से लगभग बीस लोगों की जान चली गयी तथा लगभग दस बारह लोगों के गम्भीर रूप से झुलस जाने और घायल हो जाने के समाचार मिल रहे हैं वहीं आज दोपहर अभी पिटकुल के 220 केवी सब स्टेशन पर दो जगह आग दौड़ी और उसने सीटी पीटी, ब्रेकर व आईसोलेटर सहित अनेकों उपकरणों को अपनी चपेट में ले लिया जिससे अनेकों फीडरों व यूपीसीएल की आपूर्ति प्रभावित हो गयी। इस एकाएक लगी आग से‌ सेलाकुई इण्डस्ट्रियल सहित अनेकों क्षेत्रों की आपूर्ति ठप्प हो गयी।

मुख्यमंत्री धामी ने दिए मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश

ज्ञात हो कि दोनों ही निगमों के अधिकारियों के मोबाईल फोन रिस्पांस मोड में नहीं चल रहे हैं। सरकारी आंकड़ों की अगर मानें तो चमोली में हुये इस दुखद हादसे में सोलह जानें गयी हैं और घायलों का उपचार चल रहा है, वहीं इस करंट कांड में यूपीसीएल के अधिशासी अभियंता अभियंता अमित सक्सेना के अनुसार इस हादसे में यूपीसीएल कमी से नहीं बल्कि प्लांट में 30 केवी कनेक्शन था उसमें मीटर तक ही निगम की जिम्मेदारी होती है किन्तु यह करंट मीटर के पश्चात प्लांट के अन्दर किसी के द्वारा एमसीबी चालू कर देने से पूरे में करंट फैल गया और उसने लोगों को अपनी चपेट में ले लिया।

उल्लेखनीय यहां यह है कि इतनी बड़ी दुखद घटना घटित हो गयी और एमडी, यूपीसीएल का मोबाईल फोन नो रिस्पांस के मोड में चल रहा है तो ऐसे में अधिकारिक बक्तब्य के लिए सम्पर्क किस्से किया जाये यह प्रश्नवाचक हैं। उक्त हादसे को बचाया जा सकता था ऐसा विशेषज्ञों का मानना है क्योंकि जब कोई करंट से कैजुअलिटी होती है तो यूपीसीएल के सब स्टेशनों और पोल्स तथा लाईनों पर लगे लेटेस्ट टेक्नालॉजी के उपकरण स्वत ही एक्टिव हो जाते हैं और सप्लाई में अवरोध पैदा कर देते हैं जिससे हादसे बच जाते हैं परन्तु चिंता का विषय रही तो है भ्रष्टाचारयुक्त प्रक्रिया से खरीदे गये कीमती उपकरण हैं तो इनसे फिर उम्मीद कैसे? जनता भले तो मरे, इनकी बला से इन्हें और इनके आकाओं को तो काली कमाई से मतलब है!

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