नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में जेलों में सुधार के मामले में सरकार को जेल विकास बोर्ड बनाने के लिये दस दिन की मोहलत दी है।
साथ ही कहा है कि यदि सरकार इस मामले में दस दिन में कोई अंतिम निर्णय नहीं लेती है तो अदालत ने मुख्य सचिव और वित्त सचिव वर्चुअली पेश होने के निर्देश दिये हैं।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में जेलों में सुधार के मामले को लेकर सतोष उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।
अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी और जेल महानिरीक्षक विमला गुंज्याल अदालत में वर्चुुअली पेश हुए। इनके अलावा जेलों में सुधार के मामले तेलंगाना के पूर्व जेल अधीक्षक वीके सिंह और प्रो. मुरली भी वुर्चअली पेश हुए। कमेटी की ओर से जेल सुधार को लेकर कई सुझाव पेश किये गये।
कमेटी की ओर से जेलों में सुधार, प्रबंधन और निगरानी के लिये जेल विकास बोर्ड को आवश्यक बताया गया। कहा गया कि जेलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। कमेटी ने बंदियों के मानवाधिकारों और मौलिक अधिकारों के संरक्षण की बात भी कही।
सरकार की ओर से पेश जवाबी रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार जेलों में सुधार को लेकर आवश्यक कदम उठा रही है। कमेटी की ओर से दी गयी सिफारिश और सुझाव पर सरकार उचित कदम उठाया जा रहा है। प्रदेश में कई जेलों का निर्माण किया जा रहा है। जेल विकास बोर्ड का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है।अदालत ने कमेटी की सिफारिश पर संपत्ति की गारंटी देने के मामले में छूट दी है।