रुड़की/देहरादून। उत्तराखंड के रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में बुधवार को दो दिवसीय जी20 प्रभाव (इंपैक्ट) शिखर सम्मेलन (समिट) ‘अनलीशिंग द पोटेंशियल्स’ विषय पर समारोह पूर्वक शुरू हो गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समिट का उदघाटन करते हुए कहा कि आईआईटी, रुड़की राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में भारत में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास के लिए सफलता के प्रकाश स्तंभ के रूप में खड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत के विकास में पूर्व छात्रों का योगदान चारों ओर दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत को जी20 की अध्यक्षता ऐसे समय में मिली है, जब दुनिया अभी-अभी कोविड के संकट से बाहर आई है, और जी20 के शीर्ष पर भारत ने विकासशील देशों के हितों की वकालत की है।
धामी ने कहा कि जी20 राष्ट्र विश्व सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 85 प्रतिशत योगदान करते हैं और भारत का इस वर्ष अमृत काल के साथ आगे आना शिखर सम्मेलन की थीम – ‘एक पृथ्वी, एक परिवार एवं एक सिद्धांत’, जो वसुधैव कुटुंबकम के प्राचीन भारतीय दर्शन पर आधारित है, का एक आदर्श उदाहरण है।
आईआईटी निदेशक प्रोफेसर के.के. पंत ने अपने संस्थान में जी20 इम्पैक्ट शिखर सम्मेलन के आयोजन पर कहा कि आईआईटी बौद्धिक आदान-प्रदान एवं रचनात्मक विचार के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है, जहां अभिनव समाधान तथा अभूतपूर्व विचारों को पोषित किया जा सकता है और सबसे आगे लाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रभावशाली परिवर्तनों की संभावना पर ध्यान केंद्रित करके, यह आयोजन भावी नेताओं की एक पीढ़ी को प्रेरित करना चाहता है जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाएंगे।
दो दिवसीय समिट के प्रथम दिन, उपस्थित राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषय विशेषज्ञों ने विभिन्न सत्रों एवं संवादात्मक मंचों के माध्यम से, प्रतिभागियों को राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर दीर्घकालिक, सतत विकास और विकास प्राप्त करने के लिए रणनीतियों का पता लगाने और चर्चा की। जिसमें विशेष रूप से भारत सरकार की जी20 अध्यक्षता के दौरान, सामाजिक-आर्थिक सतत विकास पर जी20 शिखर सम्मेलन के प्रभाव पर प्रकाश डाला गया।
उल्लेखनीय है कि इस समिट का प्राथमिक उद्देश्य सार्थक चर्चाओं और सहयोग को बढ़ावा देना, विभिन्न क्षेत्रों के छात्रों, शोधकर्ताओं एवं नवप्रवर्तकों के बीच ज्ञान-साझाकरण की सुविधा प्रदान करके समाज में प्रभावशाली बदलाव की क्षमता को उजागर करना है। आईआईएससी, आईआईटी, एनआईटी, आईआईएम एवं कई नेशनल लॉ स्कूलों जैसे संस्थानों के कुछ प्रतिभाशाली विचारों को एक साथ लाकर, इस कार्यक्रम का उद्देश्य ‘राष्ट्र प्रथम’ दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है।