नैनीताल। उत्तराखंड के नैनीताल स्थित बीडी पांडे जिला अस्पताल की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में उच्च न्यायालय बेहद गंभीर है और मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने सरकार से इस प्रकरण से जुड़े सभी संबंधित दस्तावेज अगली सुनवाई पर अदालत में पेश करने के निर्देश दिये हैं।
दरअसल बीडी पांडे अस्पताल में लचर सुविधाओं के मामले को नैनीताल निवासी अशोक साह की ओर से एक जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गयी है। इस मामले में गुरुवार को अदालत की ओर से गठित अधिवक्ताओं की कमेटी की ओर से रिपोर्ट पेश की गयी। रिपोर्ट में पार्किंग, मरीजों की संख्या के अनुपात में जगह की कमी और सीटी स्कैन जैसे मुद्दों को उठाया गया है।
दूसरी ओर सरकार की ओर से स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार अदालत में पेश हुए और जवाबी हलफनामा दायर किया गया। जवाबी स्वास्थ्य सचिव की ओर से कहा गया कि बीडी पांडे अस्पताल में सुविधाओं के मामले को लेकर सरकार गंभीर है लेकिन जगह की कमी के चलते सुविधाओं का विस्तार एक चुनौती है।

सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि अस्पताल की 1.49 एकड़ भूमि पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है। अतिक्रमणकारियों के खिलाफ जिला प्रशासन की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गयी है। इसके बाद अदालत ने सरकार को निर्देश दिये कि वह अगली सुनवाई पर इस प्रकरण से जुड़े सभी दस्तावेज अदालत में पेश करे।
स्वास्थ्य सचिव ने पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे सीटी स्कैन और मरीजों को दो से तीन दिन में उपलब्ध करायी जा रही रिपोर्ट के मामले में कहा कि सीटी स्कैन करने के बाद रिपोर्ट आनलाइन नोएडा से उपलब्ध करायी जाती है। जिससे दो से तीन दिन का समय लगता है।
अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और निर्देश दिये कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि सीटी स्कैन की रिपोर्ट तय तिथि पर ही मरीजों को उपलब्ध करायी जा सके ताकि मरीजों को समय पर उपचार मिल सके। स्वास्थ्य सचिव की ओर से भी अदालत को उचित व्यवस्था सुनिश्चित करने का भरोसा दिया गया है। इस मामले में अगली सुनवाई नौ अगस्त को होगी।