नैनीताल। उत्तराखंड में फर्जी शिक्षक प्रकरण का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्रदेश सरकार से जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करने के निर्देश दिये हैं।
अदालत ने कहा है कि सरकार बताये कि प्रदेश में कितने फर्जी शिक्षक पाये गये हैं और उनके खिलाफ क्या कार्यवाही अमल में लायी गयी है।
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ में काठगोदाम दमुवाढूंगा की स्टूडेंट गार्जियन वेलफेयर कमेटी की ओर से दायर जनहित याचिका पर आज सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता त्रिभुवन पांडे की ओर से कहा गया कि अदालत ने वर्ष 2020 में सरकार को निर्देश दिये थे कि तीन महीने के अदंर शिक्षा महकमे में तैनात सभी शिक्षकों के दस्तावेजों और डिग्रियों की जांच फर्जी दस्तावेज के बल पर तैनात आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही अमल में लायें।
याचिकाकर्ता की ओर से आगे कहा गया कि सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाये हैं। अदालत ने इसे गंभीरता से लिया और सरकार को निर्देश दिये कि वह जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत में पेश करे और कितने फर्जी शिक्षक पाये गये हैं और उनकेे खिलाफ क्या कार्यवाही की गयी है।

अदालत ने फर्जी शिक्षकों के पूरी सूची अदालत में उपलब्ध कराने को भी कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई पांच अक्टूबर को होगी।
लगभग तीन साल सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि अभी तक प्रदेश में 87 फर्जी शिक्षकों की पहचान हुई है। इनमें से 61 के खिलाफ आवश्यक कार्यवाही की गयी है। तीन शिक्षकों के दस्तावेज एसआईटी जांच में फर्जी पाये गये लेकिन विभागीय जांच के बाद उन्हें क्लीन चिट दे दी गयी।
सरकार की ओर से अदालत के समक्ष यह भी बात रखी गयी कि प्राइमरी शिक्षा के तहत प्रदेश में कुल 33065 शिक्षक तैनात हैं। इनमें प्रधानाचार्य, सहायक अध्यापक व 766 शिक्षक मित्र शामिल हैं।
सभी शिक्षकों की हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक के अलावा बीएड, बीटीसी, डीएलएड, सीपीएड डिगी के साथ ही उर्दू शिक्षकों के दस्तावेज शामिल है। इस प्रकार कुल 132260 दस्तावेजों की जांच करायी जानी सुनिश्चित होगी। इस पूरी प्रक्रिया में लंबा वक्त लगेगा।