क्या एक गरीब मजदूर के बेटे की कीमत मात्र पांच लाख? – Polkhol

क्या एक गरीब मजदूर के बेटे की कीमत मात्र पांच लाख?

एक बाल मजदूर विकास की दर्दनाक मौत, दूसरा मनीष बाल-बाल बचा : जिम्मेदार कौन?
श्रम कानूनों का उल्लंघन करते जल संस्थान के अभियंताओं व कान्ट्रैक्टर की लापरवाही से घट सकती थी बिकराल घटना!
सहस्त्रधारा रोड, विश्वनाथ कालोनी की निर्माणाधीन टंकी पर बिना सुरक्षा उपायों के ही बल्लियों पर चढ़ा दिया नादानों को!
…नहीं किया पुलिस ने अभी तक स्व संज्ञान लेते हुए हत्या का मुकदमा दर्ज!
उम्र और असलियत छिपाने का दबाव बना रोते बिलखते पिता को बहका-फुसला नहीं लिखाने दी रिपोर्ट और फटाफट भेज दिया बरेली!
संवेदनहीनता की एक और पराकाष्ठा : जल संस्थान के किसी अधिकारी ने भी नहीं ली सुध!

(पोलखोल – तहलका ब्यूरो)

देहरादून। डबल इंजन की धाकड़ धामी की सरकार के राज्य में अधिकारियों, अभियंताओं की लापरवाही व सम्बेदनहीनता और गैर-कानूनी हरकतों का एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें गरीबों व मजदूरों की जान लेने में किंचित मात्र भी इनकी हिचकिचाहट नहीं दिखाई पडती है।

यहीं नहीं जल संस्थान के अधिकारियों की उदासीनता और कान्ट्रैक्टर्स की लापरवाही के चलते जहां एक बाल मजदूर की जान चली गई वहीं बाल श्रम कानून की भी धज्जियां राजधानी दून में‌ ही उडाये जाने का मामला थाना रायपुर की मयूर विहार चौकी क्षेत्र अंतर्गत विश्वनाथ कालोनी में विगत 28 दिसम्बर को देखने को मिला। हैरत अंगेज बात तो यहां यह भी सामने आई कि रोते बिलखते पिता रामबीर को कान्ट्रैक्टर और उसके पेटी कान्ट्रैक्टर के द्वारा वहला फुसला कर ऐसे झांसे में लेकर पुलिस रिपोर्ट भी नहीं करने दी गई तथा आनन फानन में ही बच्चे के शव सहित उसके पिता को पैतृक गांव बरेली के‌ निकट एम्बूलेंस से भेज‌‌ दिया गया। बताना उचित होगा कि जल संस्थान के सम्बंधित अधिशासी अभियंता व अवर अभियंता ने घटनाएं जानबूझकर अनभिज्ञ था व्यक्त करते हुए छिपाने का भी प्रयास हमसे हादसे के दूसरे दिन किया।

अपने जिगर के टुकड़े को तड़पता व छटपटाता देख रहे रामबीर ने बताया कि गत दिवस 2़9 दिसम्बर को प्रातः लगभग 10-11 बजे निर्माणाधीन पानी की टंकी पर बल्लियों के बने पैड पर उनके पुत्र विकास सहित एक और बालक मनीष को काम करने के लिए बिना किसी सुरक्षा किट, हेलमेट-जैकेट व सुपरविजन के ही 60-70 फुट ऊंची निर्माणाधीन टंकी पर चढ़ा दिया गया था और नीचे से रस्सा डाल कर बल्लियों को खींचा जा रहा था। घटना के समय सारा मंजर देख रहे आस-पास के लोंगो की अगर माने तो पहले नीचे की बल्लियां खोल दी गयी तत्पश्चात ऊपर की बल्लियां खोलने के लिए इन बच्चों को चढ़ा दिया गया था तभी ऊपर वाली बल्लियों भड़भड़ा कर एक साथ गिर गईं और नादान विकास इतनी ऊंचाई से सड़क पर आ गिरा तथा दूसरा बालक रस्से पर झूलता रहा। विकास‌ एलटी लाई के बराबर से नीचे पड़ बल्लियों पर गिरा और गम्भीर रूप से घायल हो गया। बताते हैं कि जिस समय यह घटना हुई तब वहां ना ही ठेकेदार था और ना ही सुपरवाइजर, जल संस्थान के इंजीनियरों की तो पूछिए ही नहीं, वे तो आरामगाह में बैठ कर ही कार्यों को अंजाम देने व हिस्सा वंटाने के आदी हैं। गम्भीर अवस्था में हताहत विकास को दून अस्पताल उसका पिता रामबीर लेकर आया जहां करीब 4 बजे उसकी दुखद मृत्यु हो गयी तथा गत दिवस पोस्टमार्टम हुआ और बच्चे के पिता व शव को पोस्टमार्टम होने के बाद बिना देर लगाए फटाफट एम्बूलेंस से मूल गृह निवास बरेली भिजवा दिया गया। जहां उसका आज परिजनों ने अंतिम संस्कार कर दिया। बताते हैं दूसरा बालक मनीष अगर रस्से पर न झूल जाता तो उसके साथ भी अनहोनी हो सकती थी हांलाकि चोट उसे भी आईं हैं। गलीमत यह रही कि उस समय स्कूली बच्चे और अभिभावकों के वाहन अवकाश के कारण उधर से नहीं गुजर रहे थे वरना बहुत बड़ी घटना घट सकती थी।

ज्ञात हो कि उत्तराखंड की मित्र पुलिस व जल संस्थान के अधिकारियों की सम्बेदनहीनता भी दिखाई पड़ रही है तभी तो पुलिस ने जानकारी में आते हुए भी स्वयं मुकदमा दर्ज करने की जहमत नहीं उठाई और श्रम विभाग का तो भगवान ही मालिक है।

उत्तराखंड जल संस्थान के देहरादून नार्थ डिवीजन। की अवर अभियंता से लेकर अधिशाषी अभियन्ता सहित विभागी आला अफसर भी इस घटना के दूसरे दिन अनजान ही नजर नहीं आये बल्कि ये ना ही घटना स्थल पर पहुंचे और ना ही उपचार के दौरान दून अस्पताल में दुखी पिता को ढांढस बंधाते नजर आये, भला इससे अधिक सम्बेदनहीनता और क्या हो सकती है।
बताया जा रहा है कि कान्ट्रैक्टर के लोगों ने मृतक के भोले भाले पिता रामबीर को इस तरह वहला फुसलाकर झांसे में ले लिया तथा पुलिस एफआईआर नहीं करने दी और फटाफट शव को एम्बूलैंस में रखवाकर गांव भेज दिया। यहीं नहीं उक्त बच्चे की जान की कीमत मात्र पांच लाख‌ लगाकर झांसा दे दिया गया बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि उक्त लगभग 72लाख के‌ टंकी निर्माण के कान्ट्रैक्ट का समय भी काफी पहले ही बीत चुका है परन्तु अभी तक निर्माण पूरा नहीं हो पाया है।

देखना यहां गौर तलब होगा की जल संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी और मुख्य महाप्रबंधक सहित श्रम विभाग के अधिकारी इस लापरवाही और अनिमतताओं पर क्या ऐक्शन लेते हैं और स्वार्थी कान्ट्रैक्टर एवं आरामगाह में अभियंताओं पर क्या कार्यवाही करते गरीब का कैसे भला करते हैं?

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