धामी शासन में खेले जा रहे राष्ट्र विरोधी भयावह षड्यंत्र की खुली पोल!
अब भू.पू. पीजीसीआईएल के निदेशक, ससमल की अध्यक्षता वाली समिति आज करेंगी जांच
लगभग दोगुने रेट पर 280 करोड़ का टेण्डर 520 करोड़ में अवार्ड की थी साज़िश!
…फिर तो इस फ्लोमोर को पहले ही ब्लैकलिस्ट कर टेण्डर भी निरस्त किया जाना चाहिए था?
एडीबी फंडिंग जीआईएस और एआईएस सहित छः सबस्टेशनों का होना है निर्माण!
बार्डर शेयरिंग एरिया वाली चाईनीज कम्पनी को जेबी पार्टनरशिप वाले बिडर्स फ्लोमोर को बिना अनुमति दिया जा रहा कान्ट्रैक्ट?
देश की सुरक्षा और सम्प्रभुता को बन सकता था खतरा?
(पोलखोल-तहलका के ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट)
देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड जो वतन पर जान न्योछावर कर देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों और फौजी जांबाजों तथा आंदोलनकारियों से परिपूर्ण है, में अगर देश द्रोहिता के षड्यंत्र और साजिश रचे जा रहे हों और सीमांत प्रदेश की सीमाओं पर होने वाले सब स्टेशनों के निर्माण में पुरानी रंजिश रखने वाले पड़ोसी देश की किसी कम्पनी से ज्वांइट बेंचर वाली कम्पनी को करोड़ों का टेण्डर दोगुनी दरों की बजाए यदि शून्य पर भी देना हो तो भी हमें अपने वतन की सम्प्रभुता व सुरक्षा के प्रश्न पर कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए था। परंतु बलिदानियों के बलिदान को चंद रुपयों की खातिर ऐसे धूलधूसरित कर देने में इस प्रदेश का ही नमक खा रहे धामी शासन के कर्णधार जरा सा भी संकोच नहीं करेंगे, कभी सोचा भी नहीं जा सकता था।
ये तो शुक्र मानिए हमारी भ्रष्टाचार पर पैनी नजर और मुहिम का जो समय पर तीसरी आंख खुली और साजिश का हो गया पर्दाफाश वरना एक ओर जहां पूरा देश मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की भक्ति में राममय है वहीं दूसरी ओर पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन उत्तराखंड लिमिटेड (PTCUL) के तथाकथित ये कर्णधार लगभग 270 करोड़ की काली कमाई का खेल खेलकर वतन और कफ़न दोनों ही बेच डालने वाला समाचार हमारे न्यूज पोर्टल www.polkhol.in के द्वारा राष्ट्र हित में प्रकाशित किया गया था।
परिणामस्वरूप इसी धामी शासन के मुख्य कर्णधार व अन्य जिम्मेदार कर्णधारों में चेतना जागी और 16 जनवरी को होने वाली पिटकुल बोर्ड की बैठक में उक्त टेण्डर को अवार्ड किये जाने पर फिलहाल रोक लगा दी गयी तथा लगभग लगभग-लगभग दोगुनी दरों पर आला अफसरों के इशारों पर बनबाई गयी अनुचित एसओआर (शिड्यूल्ड आफ रेट्स) सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नों पर प्लानिंग एण्ड इम्पेलमेंटेशन कमेटी (PIC) को जिम्मेदारी सौंप दी गई कि शीघ्र से शीघ्र जांच करके रिपोर्ट अगली बोर्ड की मीटिंग में रखी जाए।
ज्ञात हो कि उक्त प्रकरण पर बोर्ड के निर्देशन में इस आशय का पत्र विगत 18 जनवरी, 2024 को पत्रांक संख्या 14/SE(Enggi.-Line)/PTCUL/ PIC जारी किया गया। जिसके अनुसार उक्त कमेटी पावर ग्रिड कारपोरेशन आफ इंडिया के पूर्व निदेशक रहे व ऊर्जा निगमों में स्वतंत्र (एक्सट्रनर्ल) निदेशक वरिष्ठ इंजीनियर आरपी ससमल की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी 20 जनवरी अर्थात आज देहरादून में10 बजे से मीटिंग करेगी और सभी प्रश्नों पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी? उक्त मीटिंग में पिटकुल के रिक्त चले आ रहे निदेशक (परियोजना) तथा निदेशक(परिचालन) के पदों का फिलहाल जिम्मा सम्भाल रहे एमडी पी सी ध्यानी सहित सभी मुख्य अभियंता व अधीक्षण अभियन्ता सज्ज रहेंगे।
ज्ञात हो कि हमारी पड़ताल में एसओआर (Schedule of Rate) को लेकर जो तथ्य उजागर हुए थे उनके अनुसार इन महत्वपूर्ण तीनों टेण्डर्स की एप्रूबल एडीबी के कन्ट्री डायरेक्टर टोक्यो कोनिशी एवं SG-SNE के आर्गेनाइजर जेम्स कोलांथराज से विगत 5 जनवरी को फाईनेंशियल बिड इवैल्यूएशन रिपोर्ट (FBER) प्राप्त की जा चुकी थी। जिसमें लगभग चार सौ करोड़ के दो टेण्डर किसी फ्लोमोर लि. कम्पनी को अवार्ड करने के लिए पार्ट-2 खोला जाना था। इस टेण्डर का पार्ट-1 यानि टेक्निकल सितम्बर के दूसरे सप्ताह को ही खोला जा चुका है। मजेदार बात यहां यह भी है कि इस खेल में एक अन्य बिडर्स कनोहर इलैक्ट्रिकल्स की बिड तब तक नहीं खोली गयी जब तक उसकी बिड वैलिडिटी समाप्त नहीं हो गयी जिससे उसे बाहर का रास्ता दिखाया दिया गया। ताकि सिंगलबिड पर ही टेण्डर अवार्ड किया जा सके। चर्चा तो यहां यह भी है कि आलाकमान के इस चहेती कम्पनी का एक प्रतिनिधि पिछले काफी दिनों से सचिवालय सहित राजधानी दून में ही डेरा जमाया बैठा खेल को कमांड भी करता रहा है?
यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि बिड वैलिडिटी समाप्त होने से पहले यदि कोई बिडर अपने को किसी बिड से अलग कर लेता है तो उसकी ईएमडी (सिक्योरिटी) जब्त किये जाने के साथ-साथ उसे पिटकुल से ब्लैक लिस्टेड भी कर दिया जाना चाहिए परन्तु ऐसा ना किया जाना भी संदेहों को पक्का करता है। दूसरा तथ्य यह भी कम महत्वपूर्ण नहीं है कि इसी फ्लोमोर के द्वारा पड़ोसी प्रदेश के गुड़गांव में HVPNL को दोगुनी क्षमता वाले मैटीरियल 2x 100 MVA, 26 way 220 kV वाली की कीमत अगस्त 2023 में मात्र लगभग 53 करोड़ में सहमति दी गयी तो यहां उससे भी आधा माल पिटकुल को 84 करोड़ में क्यों? क्या उत्तराखंड देवभूमि लूटने के लिए ही बनी है?
उक्त फ्लोमोर कम्पनी के द्वारा जेबी पार्टनर के रूप में जिस चाईनीज कम्पनी जियांगसू जिंगडियन इलैक्ट्रिक कम्पनी को बनाया गया उसकी अनुमति नियमानुसार बार्डर लाईन शेयरिंग एरिया में काम करने के लिए भारत सरकार के वर्ष 2020 में जारी वित्त व ऊर्जा मंत्रालयों के आदेशों के अनुपालन के साथ ही होना चाहिए था? परन्तु इस महान खेल में सारे कायदे कानून बलाए ताक रखकर जो गुल खिलाए गये वे अत्यंत गम्भीर ही नहीं बल्कि अक्षम्य है! भले इसमें डिप्लोमेटिक ब्यूरोक्रेट्स के “हाथी के दांत दिखाने के कुछ और खाने के कुछ” रहे हो और तरीके भी कुछ के कुछ रहे हों फिलहाल तो खबर मिल रही हैं वे वास्तव में “बड़ा पेट तो दांत भी बड़े” ही साबित हो रहे हैं तभी तो इन दो टेण्डरों सहित तीसरा लगभग 124 करोड़ का टेण्डर किसी ट्रांसग्लोबल पावर लिमिटेड को दिये जाने का षड्यंत्र और विशात बिछाई जा रही थी।
सूत्रों और खोजी आंकड़ों और रेट्स की अगर मानें तो यह पूरी की पूरी कवायद ही बिडर्स/ कान्ट्रैक्टर्स के मनचाही दरों पर एसओआर ऐन-केन-प्रकरेण बनाए जाने के लिए ही चलाई गयी ताकि कन्धा छोटे स्तर के अभियंताओं का और गुलछर्रे आलाकमानों सहित इनके…? आईए अब इस अजब-गजब की एसओ आर की तह में जाने की कोशिश करते हैं कि कब-कब एसओआर बनी और रेट्स कैसे और कितने कितने रेट्स रिबाईज्ड किये गये होंगे तथा उनमें गड़बड़झाला क्यों..?
यही नहीं और क्यों नहीं उक्त टेण्डर्स निरस्त होने चाहिए? माना कि एडीबी फंडिंग के काम हैं जिसमें राज्य सरकार की भागीदारी मात्र 10% की होगी परंतु उक्त रकम की वापसी ब्याज सहित भारत सरकार को टैक्स पेयर्स से मिलने वाली रकम से ही तो करनी होगी। ऐसा विकास किस काम का जो देश और देश की जनता के लिए घातक साबित हो!
यूं तो एसओआर नियमानुसार प्रत्येक वर्ष अप्रैल में ही बनती है बार-बार, इच्छानुसार नहीं बनाई जा सकती है और उसी रेट्स पर डीपीआर बनती है जो किसी काम की कीमत तय करती है। किन्तु यहां दाल में नमक नहीं वरन् नमक में दाल पकाईं गयी है वह भी ऐसे जो किसी को भी जेल का सीधा रास्ता दिखा दे। और टेण्डर में भी टेण्डर नोटीफिकेशन के समय की ही प्रभावी दरें ही मान्य होती है। परन्तु यहां तो टेक्निकल बिड अर्थात पार्ट -1 खुलने के बाद भी तीन-तीन बार रेट्स रिवाईज तब तक किये गये जब तक बिडर्स को रास नहीं आ गये।
बात पहले यहां बिडर्स की बिड़ और एसओआर के खेल की करें तो उसमें जिस गड़बड़झाले की भनक हमें लगी है उसके अनुसार Tender – L4402 UCRPSDP Package-1, Lot-1 सेलाकुईं 220/33(2×50 MVA GIS Sub Station के लिए असल रेट 50करोड थे तथा तीन बिल्डर्स थे और एडीबी से एप्रूबल 2-11-2023 को प्राप्त हुई फिर कुछ दिनों बाद ही दिसम्बर की 10 या 11 तारीख को एसओर के रेट्स रिवाईज कर 70 करोड़ के आस पास कर दिए गये जो भी रास नहीं परिणामस्वरूप फिर 84 और 90 करोड़ कर दिए गये जो 80% हायर रेट्स हैं जिस पर टेण्डर अवार्ड होना था। इसी प्रकार Lot-2 में चार GIS सब स्टेशनों का खटीमा, लोहाघाट, धौलाखेडा एवं आराघर के लिए एसओआर की वास्तविक कीमत लगभग 155 करोड़ में सिंगल बिड पर फ्लोमोर को एडीबी की एप्रूबल के समय 246 करोड़ की बनाई गयी एस ओर को फिर क्रमशः 285 करोड़ 98% हायर कास्ट पर 311 करोड़ में दिए जाने की तैयारी कर ली गयी। अब बारी आती है Package -2 ASI Sub Station मंगलौर (हरिद्वार) के लिए तीन बिडर्स की बाड़ आई थी और ओरीजनल कास्ट 82 करोड़ थी जो एप्रूबल के समय दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह में 113 करोड़ कर दी गयी फिर चौथे सप्ताह में 115 करोड़ कर दी गयी जबकि बिड 124 की बताई जा रही है इस प्रकार ट्रांसग्लोबल को 50-51% हायर पर दिया जाना है!?
ज्ञात हो कि यदि इन्हीं कामों और मैटीरियल के उत्तर प्रदेश के मथुरा सेम कान्फीग्रेशन के टेण्डर अक्टूबर 2022 में 35-36 X4 transformer में अगर डेढ़ वर्ष का प्राईज वैरिएशन भी लगाया जाये तो इसकी कीमत उतनी नहीं बनती तो फिर ढाई गुनी दरों पर क्यों? खैर जो भी गुणा भाग किया गया हो फिलहाल विशात 290 करोड़ के असल में होने वाले टेण्डरों को बढाकर 520 करोड़ किये जाने का आधार व औचित्य समझ से परे हैं अर्थात कहीं न कहीं पिटकुल प्रबंधन पर भारी दबाव है या फिर सांठ-गांठ जो समय आने पर अपनी कहानी अपने आप बयां करेगी।
क्या धाकड़ धामी की नजर भी इस ओर भी पड़ेगी और वास्तव में प्रधानमंत्री मोदी के भ्रष्टाचार मुक्त भारत के इरादों में सार्थक भूमिका निभायेगी या फिर ढोल ही…!
दूसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि क्या फ्लोमोर की जेबी पार्टनर चाईनीज कम्पनी ने भारत सरकार के वित्त व ऊर्जा मंत्रालयों से भारत के बार्डर शेयरिंग एरिया में सहभागिता करने या प्रतिभाग करने की पूर्वानुमति लिए ली थी यदि नहीं तो भी अब उक्त बिल्डर का टेण्डर निरस्त कर दिया जाना चाहिए था और इस प्रकार के अनेकों विदेशी बार्डर शेयरिंग एरिया वाली कम्पनियों को प्रतिभाग करने का अवसर प्रतिस्पर्धा में दिया जाना था ताकि हो ना हो आर्थिक लाभ तो पिटकुल को होता?
देखना यहां गौर तलब होगा कि अब अनुभवी पीजीसीआईएल के निदेशक रहे इंजीनियर ससमल की जांच और पड़ताल क्या कहती है या फिर शासन और बोर्ड की पीजीसीआईएल के रेट्स पर ही टेण्डर दिए जाने के बारे में स्वीकारोक्ति व्यक्त करती है? क्या देश की सम्प्रभुता और संरक्षता के बिन्दुओं पर तथा नियमानुसार टेण्डर निरस्त किये जाने की दिशा और दशा पर भी ध्यान दिया जायेगा या नहीं? या फिर उस भ्रष्ट काकस के कारनामों पर लगेगी मुहर?