सेवानिवृत्त वन सर्वेयर सी.पी. डोभाल को उत्तराखंड योग एसोशिएशन ने किया मानद उपाधि से सम्मानित – Polkhol

सेवानिवृत्त वन सर्वेयर सी.पी. डोभाल को उत्तराखंड योग एसोशिएशन ने किया मानद उपाधि से सम्मानित

75 वर्षीय डोभाल आज भी एक युवा स्फूर्ति वाले वन सम्पदा की रक्षा करने में अग्रणी व प्रेरणा के श्रोत हैं
हजारों एकड़ वन भूमि को बचाने में निभा चुके हैं महत्व्पूर्ण भूमिका

देहरादून। एक ओर बड़ी तादाद में वनभूमि‌ का जमकर दोहन और अतिक्रमण करके उसे खुर्द-बुर्द किया जा रहा है वहीं दूसरी ओर वन सम्पदा और वन भूमि को बचाने में अपनी जान लड़ा देने और वन माफियाओं से भूमि छुड़ाने व वचाने की दिशा में साहसिक भूमिका निभाने वाले वन सर्वेयर सी पी डोभाल एक ऐसी प्रतिभा हैं जो अपने सेवाकाल में वन भूमि की रक्षा में अपने विभाग के अधिकारियों से भी अनेकों प्रकरणों में मुखर होकर विरोध प्रकट कर भूमि बचाने में सफल हो चुके हैं। ऐसी प्रतिभा को उत्तराखंड योगा एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित भट्ट द्वारा गत दिवस मानद उपाधि प्रदान कर गोरवान्वित किया गया।
वन विभाग में निरंतर 36 साल सर्वेयर के पद पर सेवा देने वाले देहरादून वन प्रभाग से सेवा निवृत हुए चंडिका प्रसाद डोभाल को उनके सामाजिक कार्यों के लिए व स्वस्थ बनाए रखने के लिए योग को आगे बढ़ाने में योगदान के लिए उत्तराखंड योग एसोशिएशन ने मानद उपाधि देकर सम्मानित किया।
अपने सर्वे के कार्य में इतने दक्ष रहे कि इन्हें “बाल की खाल निकालने” वाला सर्वेयर कहा जाता था।  ऋषिकेश रैंज के वीरभद्र वन ब्लाक में  टिहरी बांध विस्थपिको के पुनर्वास हेतु इन्होंने 680 एकड़ , भारतीय आयुर्वेद संस्थान  के लिए 100 एकड़ वन भूमि के हस्तांतरण , ऋषिकेश बस अड्डा   विस्तारीकरण हेतु सर्वेक्षण तथा सीमांकन ,थानों रेंज में जोली ग्रांट  एरयरपोर्ट हेतु 185 एकड़ (75 हैक्टर),  आदि वन भूमियों का सर्वेक्षण तथा सीमांकन करना इनका बड़ा कार्य रहा। राजस्व रिकार्ड में आरक्षित वन को खुर्दबुर्द किए जाने के  कई मामले भी ये अपने विभाग के सज्ञान में लाए जैसे आशारोडी रेंज के अंतर्गत ईस्ट होप टाउन की आरक्षित वन भूमि का मामले और हरिद्वार वन प्रभाग के रसियाबड आदि।
जहां तक इकी फिटनेस की बात है तो 74 वर्ष की उम्र में जब लोग आराम करने की सोचते है  तो ये इस उम्र में भी प्रदेश की वन भूमियों की सुरक्षा के लिए कार्यरत रहते हैं।
सुनने में तो यह भी आया है कि ये बैडमिंटन के भी अच्छे खिलाड़ी रहे है , अभी भी खेल के प्रति ये बच्चों को प्रोत्साहित करते रहते है।

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