उत्तराखंड में धर्म के नाम पर होने वाले विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अब धर्म के नाम पर राजनीति और हिंदुओं का हिमायती बनने की भी होड़ मचने लगी है। राज्य में कांग्रेस केदारनाथ धाम प्रतिष्ठा बचाओ यात्रा शुरू कर चुकी है और बीजेपी सरकार आगामी सेशन से हिंदू संस्कृति को पढ़ाने का ऐलान कर चुकी है।
उत्तराखंड में सियासत नेताओं से ज्यादा सरकारों के विवादित निर्णय पर होती है। देवभूमि में अब हिंदुओं का हिमायती बनने की सियासत भी तेज हो गई है। हिंदुओं का हिमायती बनने के लिए भाजपा के साथ-साथ अब कांग्रेस भी कतार में खड़ी हो चुकी है। केदारनाथ धाम विषय के बाद अब धामों के कॉपी राइट को लेकर जहां धामी सरकार ने सख्त कानून बनाने का निर्णय लिया है। तो वहीं कांग्रेस में केदारनाथ प्रतिष्ठा बचाओ पैदल यात्रा शुरू की है जिसमें कांग्रेस के नेता हरिद्वार से लेकर केदारनाथ धाम तक पैदल यात्रा करेंगे।
कांग्रेस का कहना है कि केदारनाथ बचाओ यात्रा के दौरान वो अपनी जनसभाओं में जनता से भाजपा सरकार की पोल खोलने का काम करेगी। जबकि भाजपा सरकार ने कांग्रेस से आगे निकलते हुए एक और मास्टर स्ट्रोक खेलने का काम किया है। धामी सरकार की कैबिनेट ने आगामी स्टेशन से दून विश्वविद्यालय में कल्चरल ऑफ हिंदू स्टडीज पढ़ाने का निर्णय लिया है। ताकि सनातन धर्म के लोग भाजपा के साथ जुड़े रह सके और सनातन का प्रचार-प्रसार हो सके। सरकार के निर्णय के बाद अब जनता भी कहने लगी है कि आखिर पक्ष और विपक्ष में अंतर क्या है।
कांग्रेस की तरफ से अब सवाल पूछे जा रहे हैं कि आखिर भाजपा कब तक धर्म के नाम पर जनता को गुमराह करेंगे और जनता कब तक गुमराह होती रहेगी ? क्योंकि भाजपा ने जो धर्म का ठेका लिया है वो अपने नेताओं के लिए लिया है और जनता आज भी विकास से मरहूम है। कांग्रेस में कहां की केदारनाथ प्रतिष्ठा बचाओ यात्रा भाजपा के लिए एक सबक होगी।
भाजपा कांग्रेस पर केदारनाथ धाम के नाम पर सियासत करने का आरोप लगा रही है। धामी सरकार ने कैबिनेट में जो निर्णय लिया है वह सही है ताकि युवा पीढ़ी को पता चल सके की सनातन धर्म में या हिंदू धर्म में किस प्रकार से संस्कार होते हैं । भाजपा का मानना है कि कांग्रेस भले ही केदारनाथ धाम के नाम पर यात्रा निकाल रही हो लेकिन उन्हें अपना पश्चाताप करना है इसलिए वो इस यात्रा के बहाने वही करती हुई नजर आ रही है।