तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण और पुनरुद्धार में सहयोग करेंगे मुकेश अंबानी, बीकेटीसी को दिया भरोसा – Polkhol

तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण और पुनरुद्धार में सहयोग करेंगे मुकेश अंबानी, बीकेटीसी को दिया भरोसा

पंच केदारों में तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण और पुनरुद्धार के लिए देश के जानेमाने उद्योगपति मुकेश अंबानी आगे आए हैं. उन्होंने बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय से इस विषय पर विस्तार से चर्चा की और तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण व पुनरुद्धार के लिए हर संभव मदद करने की बात कही है. बता दें कि दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित भगवान भोलेनाथ का तुंगनाथ मंदिर एक तरफ झुक रहा है, जिसको लेकर सरकार काफी चिंतित है.

दरअसल, दो दिन पहले ही उद्योगपति मुकेश अंबानी भगवान बदरीनाथ और केदारनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे. तभी बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय से मुकेश अंबानी की मुलाकात हुई. इसी दौरान अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने मुकेश अंबानी को तुंगनाथ मंदिर के झुकने के बारे में बताया. मुकेश अंबानी ने अध्यक्ष अजेंद्र अजय को भरोसा दिया कि तुंगनाथ मंदिर के संरक्षण व पुनरुद्धार के लिए उनकी तरह से जो भी कुछ किया जा सकता है, उसके लिए वो तैयार है. मुकेश अंबानी ने हर संभव सहयोग देने की बात कहीं है.

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मुकेश अंबानी का परिवार हर साल बदरीनाथ और केदारनाथ धाम आता है. इस दौरान वो धार्मिक स्थलों की व्यवस्थाओं की जानकारी जरूर लेते हैं. इस बार उन्हें तुंगनाथ मंदिर की स्थिति के बारे में बताया गया, जिस पर उन्होंने हर संभव मदद देने का भरोसा दिया है. हालांकि सरकार भी अपने स्तर पर तुंगनाथ मंदिर के ट्रीटमेंट का हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन अंबानी परिवार अगर कुछ करता है तो उनका स्वागत है. उनकी आस्था चारधाम और यहां के मंदिरों में हमेशा से रही है.

बता दें कि अपनी धार्मिक यात्रा के दौरान मंदिर समिति को अंबानी परिवार ने हाल में ही 5 करोड़ रुपए का दान भी दिया है. अंबानी परिवार जब भी चारधाम यात्रा में आता है, तब तब वह पूरी भक्ति भाव के साथ यहां पर समय बिता कर जाते हैं.

गौरतलब हो कि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर करीब 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ये मंदिर नागार्जुन शैली में बनाया गया है, जो करीब एक हजार साल पुराना है. मान्यता के अनुसार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इसी जगह पर तपस्या की थी. यह मंदिर आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के अंतर्गत आता है. बताया जा रहा है कि मंदिर के सभागार में लगे पत्थर और उनके ऊपर की छत पर स्लेट नुमा पत्थर हिल गए हैं.

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