वाह रे, वाह, सरकार की ऊर्जा! …साहब मेहरबान तो गधे भी पहलबान यहाँ! – Polkhol

वाह रे, वाह, सरकार की ऊर्जा! …साहब मेहरबान तो गधे भी पहलबान यहाँ!

धाकड़ सीएम :.क्या किसी की भी नहीं सुनते, चाहे पक्ष करे विरोध या फिर विपक्ष अथवा मीडिया…!

गजब का है भ्रष्टाचार पर Zero टालरेस : छ: माह पहले ही उजागर हो चुकी सैकड़ों करोड की अवैध, नामी-बेनामी सम्पत्तियों वाले भ्रष्ट एमडी पर एक्शन की बजाए ईनाम, आखिर क्यों?

…अनिल, एमडी, यूपीसीएल को दो साल का सेवा विस्तार मिला अथवा एक  शगूफा और मीडिया ट्रायल तो नही?

धाकड़ गब्बर के  तोल-मोल के बोल से नाचेगी यह एक्स्टेंशन की छमिया भी, जेबी तक सांस तभी तक आस !?

क्या यही है डबल इंजन की पारदर्शिता?

नमो कहते ‘यंग इंडिया’ और ये कहते ‘ओल्ड इज गोल्ड’?

वित्तीय व्यवस्था पर प्रश्न (?) चिन्ह लगाती इनकी गोपनीयता!

घोटालेबाज को सर्वश्रेष्ठ बताना तो महज एक बहाना या फिर किसी डील की कमेटमेंट??

कहीं ये भारत सरकार की UPCL को मिली RDSS स्कीम के हजारों करोड़ की लूट खसोट और ठिकाने लगाने की योजना तो नहीं?

स्मार्ट मीटरिंग, माड्रनाईजेशन एवं लास रिड्यूशिंग स्कीम में भी हो गयी खेल की शुरुआत?

ये वही एक्सपर्ट महाशय हैं जिनके कर कमलों से खिल चुका है पिटकुल में सैकडों करोड़ का चर्चित SOR’s स्कैम…!

क्या सरकार पता लगा, छवि बिगाड़ने वाले इस काकस के फाईनेंसर त्यागी एण्ड कम्पनी और लाईजनर बिक्रम अथवा  वालिया पर कसेगी शिकंजा  ?

धामी की पहली कैबिनेट के ऊर्जा मंत्री हरक  सिंह राबत के इशारों पर ही हुई थी इस एमडी अनिल और डीपी अजय की नियम विरुद्ध नियुक्ति : जांच कब?

शासन की टिप्पणी के वाबजूद डेढ़ – डेढ़ करोड़ में अनुचित व अवैध रूप से कराया गया ‘बिचलन’ शब्द के अनुचित प्रयोग…?

और तभी आते ही एमडी के द्वारा खेला गया आते ही भरपाई का अजब-गजब ‘फाल्स क्लास स्कैम’ और टेण्डर स्चक्रैप किये जाने के कारणो की जांच कब?

…और अब चल रहा है घोटेलेबाज काकस व उसकी सहयोगी बोगस कम्पनियों का टेण्डर पूलिंग के खेल?

(पोलखोल तहलका ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता की भ्रष्टाचार पर  एक और विशेष पड़ताल)

देहरादून। विपक्षियों, पूर्व कैविनेट मंत्री एवं कांग्रेस अध्यक्ष रहे  प्रीतम सिंह और निर्भीक मीडिया की ना सुनी जाए यह तो कहीं तक ठीक हो सकता है परंतु अपनी ही पार्टी के दबंग विधायक विनोद चमोली, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सहित शासन की भी न सुनी जाए यह केवल इसी धाकड़ धामी की सरकार के कार्यकाल में ही देखने को मिल रहा है बताया जा रहा है कि शासन मैं कुछ सीनीयर अधिकारी  इस अनुचित सेवा विस्तार के पक्षधर नही थे किन्तु वर्तमान सरकार की परिपाटी के दंश से अधिपत्य जमाये हुए घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों की हौसला अफजाई ही हो रही है। क्या इस देवभूमि में ईमानदार और योग्य व श्रेष्ठ अधिकारियों का टोटा हो गया है या फिर इसके पीछे मशहूर शोले फिल्म में गब्बर सिंह का वह डायलाग ,”कि छमिया जब तक तेरे पैर चलेगे, बीरु (एक्सटेंशन बाले) की सांस चलेगी..!” ठीक उसी प्रकार यह एक्सटेंशन का खेल भी तभी तक, जब तक ….!

जहाँ एक ओर धाकड़ धामी सरकार का सतर्कता विभाग हजार, दो हजार और दस-बीस हजार के रिश्वतखोरों की निरंतर  गिरफ्तारी कर कर के प्रशंसनीय कार्य कर रही है वही उसी बिजीलेंस विभाग के द्वारा सैंकड़ों करोड़ की अवैध  नामी-बेनामी व काली कमाई से सम्पत्तियां बनाने वाले यूपीसीएल के एमडी अनिल व डीपीअजय के सप्रमाण शिकायत प्रकरण में चुप्पी साध लिया जाना उसकी कार्यप्रणाली को भी सबालों के घेरे में खड़ा कर रहा है। क्या खी कोई भरी भरकम दबाव या फिर तोते कि तरह तो नहीं बन कर रह गई?

शायद यही बजह रही होगी कि उत्तराखंड शासन में बैठे आला आफसर भी किसी कश्मकश में यह सोच कर शांत बैठ गये है कि जब उनकी तब नहीं चली जब 4 जुलाई 2021 से 16 जनवरी 2022 के समय में मुख्यमंत्री धामी के कैविनेट मंत्री रहे ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत थे जिनके बारे में चर्चा अभी भी बरकरार है कि शासन के भारी विरोध के बाद भी सभी आख्याओं को नजर अंदाज करते हुये जो नियुक्ति किसी भी प्रकार से हो नहीं सकती थी उसे करोडों के प्रभाव में “बिचलन” शब्द का अनुचित रूप से प्रयोग कर, नियुक्ति पत्र जारी हो गये जो कहीं तो यूपीसीएल मैं  निदेशक (परियोजना) और कहीं पर निदेशक (परिचालन) के पद पर अजय अग्रवाल की ऐसी नियुक्ति आज भी संदेहास्पद बनी हुई है! इसी प्रकार यूपीसीएल के प्रबंध निदेशक के पद पर अनिल कुमार की नियुक्ति अब तक भी नियम विरुद्ध बनी रही और दबंग एमडी के पद पर बना रहा !?

यही नहीं एमडी के पद पर अनिल कुमार की इससे पूर्व में हुई नियुक्ति भी….! करोडों की महिमा का ही परिणाम है तभी तो यह तमाम रहस्यों को अपने में समाये हुए दबंग की दबंगई के आगे घुटने टेके हुए है तभी तो बजाए अवैध सम्पत्तियों की जब्ती और सुद्दोवाला तक के एक्शन के बदले सेवा निवृत्ति के नियमों के विरुद्ध दो साल का सेवा विस्तार दिए जाने की चर्चा जोरों पर है? हांलाकि ” जंगल में मोर नाचा, किसने देखा” अर्थात पारदर्शी सरकार के युग मे यह कैसा गोपनीय ‘सेवा विस्तार पत्र’ है जो पब्लिक डोमेन से बचा कर रखा जा रहा है! कहीं ये मीडिया ट्रायल या कोई शगूफा तो नही? मजेदार बात तो यहाँ यह भी है सत्ता पक्ष के दबंग विधायक विनोद चमोली भी एमडी के पद पर अनिल कुमार के सेवा विस्तार पर अपनी ही सरकार के विरुद्ध मुखर हो चुके हैं! वही बेरोजगार संघ के लोकप्रिय उभरते नेता बाबी पंवार सहित विपक्षी दल कांग्रेस भी सरकार की कार्यप्रणाली पर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं तथा गोदी मीडिया को छोड़कर जनहित में निर्भीक पत्रकारिता करने वाला मीडिया निरंतर सुर्खियाँ बनाये हुए है। यूं तो धामी सरकार में यह एक्सटेंशन और प्रभारी नियुक्ति का यह कोई पहला मामला नहीं है और न ही इसमें कोई आश्चर्य! आखिर ऐसा क्या मामला है जो सेवा विस्तार का पत्र / शासनादेश छिपाया जा रहा है जैसे की पीसी ध्यानी से संबन्धित प्रभार के कार्यकाल को बढ़ाए जाने पत्र आज तक गोपनीय ही बना हुआ है, आखिर एस्क गोपनियता का रहस्य पारदर्शिता को प्रभावित  नही कर रहा है? क्या ये तो पब्लिक डोमेन पर नही होना चाहिए?

ये भी देखिए नियुक्ति पत्र और उसकी अधिकांश शर्ते जो आज तक पूरी नहीं की गयीं…

सूत्रों की अगर यहाँ माने तो चर्चा तो यह भी है उक्त दबंग भ्रष्टाचारी के पीछे सपोर्ट किसी फाईनेंसर व कान्टैक्टर काकस त्यागी बन्धु व लाईजिनिंग कोई बिक्रम या वालिया करता बताया जा रहा है जिसके इशारों पर ही होता है खेल! और बदले में उसे और उसकी सांठगांठ वाली शेल एवं बोगस फर्मों को मिलते है ऐन-केन-प्रकरेण सैकड़ों करोड़ के कान्ट्रैक्ट।

त्यागी एण्ड कम्पनी व उसकी सहयोगी बोगस कम्पनियों को टेण्डर दिये जाने के लिए स्क्रैप आदेश …

फिर चाहे उन टेण्डरों के लिए एमडी साहब और उनके सिपहसालार डीपी को किसी हद तक भी जाना पड़े ? बताया जा रहा कि दबंगयी के चलते डीडीयूजीवाई योजना और RDSS स्कीम के टेण्डरों में जमकर धांधलेबाजी की गयी जिनमें RDSS के लगभग 1200 करोड़ के टेण्डरों के लिए योजनाबद्ध तरीके से कुछ स्तरीय व गुणबत्ता के साथ पर समय पर काम करने वाले कान्ट्रैक्टर्स को जैसे तैसे बाहर करने के लिए भी तानाबाना बुना गया ! यही नही स्मार्ट मीटर का टेण्डर किसी ब्लैक लिस्टिड कम्पनी को दिया जाना भी चर्चा में है?

इसी प्रकार डीडीयूजीवाई योजना में जो नया फार्मूला “फाल्स क्लास”  में मनचाही उघाई करने के लिए निकाला गया वह भी अपने आप में गम्भीर जांच व कार्यवाही का विषय है! क्योंकि जिन 19 कम्पनियों को फाल्स क्लास की सूची जारी हुई उनमें से कवल तीन से डील नहीं हो सकी तथा जिसने माल पहुंचा दिया वह दोष मुक्त और जिसने आनाकानी की उसे गिरफ्त में लेकर ब्लैक लिस्ट कर दिया गया जबकि उक्त कान्ट्रैक्टर सही था और यूपीसीएल अपनी खामियों को उसके सिर मढ़कर अनुचित उघाई का दबाब बनाना चाहता था परंतु  जब उक्त  कान्टैक्टर शिकंजे में नही आया और उसे मजबूरन  माननीय उच्च न्यायालय की शरण में गया जो प्रकरण आज आर्वीट्रेटर के समक्ष विचाराधीन हैं।

DDUGY WORK  के कामों में “फाल्स क्लास”  में मनचाही उघाई करने के लिए जारी सूची…

अनेकों टेण्डरों को स्क्रैप किये जाने बाद में उन्हीं कामों के टेण्डर अंधा बांटे रेबड़ी अपने अपने को देय के अनुसार श्रीनगर में मै. सनसिटी, टिहरी का मै. एन.के.जी इन्फ्रा. और काशीपुर का काम आदि के 39% हायर रेट पर जो कि डीपीआर वैल्यू से कहीं अधिक हैं पर क्रमशः लगभग 77.69 करोड़, 73 करोड़ और 126.90 करोड़ में देकर खासी खाईबाड़ी का किया जाना बताया जा रहा है वहीं इसके विपरीत केन्द्र सरकार की RDSS स्कीम के अन्तर्गत फिलहाल फर्स्ट फेस केएप्रूव्ड डीपीआर के अनुसार 3767 करोड़ को जिसमें स्मार्ट प्रीपेड मीटरिंग के1045 करोड़ तथा रिड्यूशिंग लास बर्क्स के 1426 करोड़ और माड्रनाईजेशन के मद के 1248 करोड़ को ठिकाने लगाने का यह खेल चल रहा है यही नहीं इस महा भ्रष्टाचार और घोटालेबाज काकस को यदि शिकंजे में नहीं लिया गया आने वाले समय में हजारों करोड़ की ग्रांट के जनधन पर लूटखसोट का ग्रहण लगने की पूरी पूरी सम्भावना बनी हुई है? यदि यहाँ इस कानाफूसी पर भी ध्यान दिया जाये तो जैसे एडीबी फंडिंग की सैकड़ो करोड की योजनाओं में ऊर्जा के तीनों निगम घोटालों का खेल खेल कर खासी कमाई कर चुके और तुम भी खुश तथा हम भी खुश की परिपाटी पर चल कर बारे न्यारे कर चुके हैं पर क्या धाकड़ धामी सरकार कोई कदम उठाकर.भ्रष्टाचार पर Zeero टालरेंस साबित कर दिखाएगी या फिर यूं ही ढोल पीटेगी?

RDSS SCHEME  में निर्धारित डीपीआर …

यहाँ स्मरण दिलाना उचित होगा कि विगत मार्च माह में पिटकुल मे एडीबी फंडिड 520 करोड़ के एक टेण्डर प्रकरण में जिस चर्चित SORs मामले को यही महाशय पीआईसी का चेयरमैन बनाये जाने पर परबान चढ़ा चुके है वह प्रकरण आज भी भ्रष्टाचार पर Zero टालरेंस की वाट जोहते जोहते थक चुका है!

SOR’s प्रकरण से सम्बंधित हमारे द्वारा जनहित में प्रकाशित किया जा चुका समाचार…

क्या UPCL एमडी व डीपी की ऐसी “बिचलन” शब्द के प्रयोग से की गयी नियुक्ति किसी विशेष कारणों अथवा रुचि की ओर संकेत नही बताता…?

आखिर ऐसी भी क्या मजबूरियां थी कि ये दोनों ही नियुक्ति के लिए  उपयुक्त कराये गये…?

अनिल कुमार की एमडी के पद पर हो चुकी नियुक्ति की प्रक्रिया…

मीडिया में चल रहे सभी समाचार व विपक्षी, नेता बॉबी पँवार एवं भाजपा अध्यक्ष के कथन भी भ्रामक व गलत हैं? देखिए…

उल्लेखनीय तो यहाँ यह है कि जिन महाशय से ऊर्जा निगम का पिंड सेवानिवृत्त से व मुश्किल तमाम छूट रहा था उन्हीं महाशय को दो वर्ष का सेवा विस्तार दिये जाने का फैसला अपने आप में यह साबित करता है कि जो जितना बड़ा घोटालेबाज और भ्रष्ट उसे उतना ही बड़ ईनाम देने में विश्वास रखने वाली है वर्तमान धाकड़ सरकार?

देखना यहाँ गौर तलव होगा कि धाकड़ सीएम धामी इस मामले पर किस तरह विराम लगा कर अपनी छवि को निखारते हैं या फिर भ्रष्टाचारियों को बजाए सुद्धोवाला पंहुचाने और काली कमाई से जोड़ी गयी अवैध सम्पत्ति को जब्त करने की दिशा में एक्शन लेकर सबक सिखा पाने में सफल होते हैं या नहीं?
यहां यह भी देखना गौर तलव होगा कि धाकड़ सीएम धामी इस लाईजनर व काकस के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही करेगें? या फिर चलता रहेगा ऐसे ही.Zero टालरेंस का नारा और देवभूमि की छवि धूमिल करने का खेल?

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