देशभर में बैन चाइनीज मांझा उत्तराखंड में कई लोगों की मौत का कारण बन चुका है. पुलिस लगातार चाइनीज मांझे को लेकर कार्रवाई कर रही है, लेकिन फिर भी चोरी छिपे उत्तराखंड के कई इलाकों में चाइनीज मांझा बिक रहा है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. हरिद्वार जिले की ही बात कर तो यहां पर एक दो नहीं बल्कि 30 से ज्यादा लोग चाइनीज मांझे का शिकार हुए हैं, जिसमें से दो लोगों की जान भी चली गई है.
पश्चिमी यूपी समेत उत्तराखंड के कई शहरों में बसंत पंचमी पर पतंग उड़ाई जाती हैं. इस दौरान बड़ी मात्रा में चोरी छिपे चाइनीज मांझा बिकता है. पुलिस ने भी बसंत पंचमी से पहले हरिद्वार जिले में चाइनीज मांझे को लेकर विशेष अभियान चलाया था. बावजूद इसके धरातल पर पुलिस के इस एक्शन को कोई असर नहीं दिखा. बीते सोमवार (तीन फरवरी) को हरिद्वार में रेलवे के जेई की चाइनीज मांझा से मौत के बाद पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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दरअसल, तीन फरवरी में रेलवे में जेई के पद पर तैनात सुलेख चंद अपनी पत्नी को ऋषिकेश एम्स में डॉक्टर को दिखाने गए थे. वहीं से लौटते समय बाइक पर सवार सुलेख चंद हरिद्वार में चाइनीज मांझे की चपेट में आ गए, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गए. आनन-फानन में सुलेख चंद को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया. इस घटना के अलावा भी बसंत पंचमी पर कई लोग चाइनीज मांझे की वजह से घायल हुए.
हरिद्वार जिले की रुड़की सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र में तो पुलिस ने चार लोगों को चाइनीज मांझे के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया था. इसमें नसीम (पुत्र यासीन), जगत सिंह (पुत्र कुंदन सिंह), विकास गोस्वामी (पुत्र भूषण गोस्वामी) और संजीव कुमार (पुत्र सत्यदेव) हैं. यह सभी लोग हरिद्वार जिले के आसपास के इलाकों के रहने वाले हैं.