पर्यावरणविद स्वर्गीय सुन्दर लाल बहुगुणा की पत्नी बिमला बहुगुणा का निधन हो गया है. 93 साल की उम्र में बिमला बहुगुणा ने आखिरी सांस ली. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.
14 फरवरी को तड़के 2 बजकर 10 मिनट पर बिमला बहुगुणा ने अपने शास्त्री नगर स्थित आवास पर आखिरी सांस ली. स्वर्गीय सुन्दर लाल बहुगुणा के बेटे राजीव नयन बहुगुणा ने अपनी मां के निधन की जानकारी सोशल मीडिया पर साझा की है. राजीव नयन ने सोशल मीडिया पर लिखा महिला शिक्षा एवं ग्रामीण भारत में सर्वोदय के विचार को दृष्टिगत रख, दिसंबर 1946 में कौसानी में लक्ष्मी आश्रम की स्थापना की गई. इस आश्रम की प्रारम्भ से ही देखरेख महात्मा गांधी की नजदीकी शिष्या सरला बेन (बहन) द्वारा संपादित की गई. आश्रम के प्रति अल्मोड़ा जनपद का रवैय्या उत्साहजनक नहीं था. लेकिन पौड़ी और टिहरी से प्रारंभ से ही कुछ छात्राओं ने आकर आश्रम को मजबूती प्रदान की.
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टिहरी से एक साथ 5 छात्राओं ने आश्रम में दाखिला लिया उनमें ही एक थी “बिमला नौटियाल” अपनी साफ समझ, कड़ी मेहनत और समर्पण की भावना ने बिमला नौटियाल को छोटे समय में ही आश्रम की सबसे प्रिय छात्रा बना दिया. आश्रम से बाहर की सामाजिक गतिविधियों में बिमला का आश्रम द्वारा सर्वाधिक उपयोग किया जाता था. जब विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में आश्रम के प्रतिनिधित्व की बात सामने आई तो, इसके लिए भी बिमला नौटियाल का ही नाम चुना गया था.
बिमला ने अपने समर्पण और नेतृत्व क्षमता से भूदान आंदोलन में बहुत विलक्षण काम किया, विनोबाजी के मंत्री दामोदर ने बिमला को “वन- देवी” की उपाधि देते हुए कहा कि ऐसी लड़की उन्होंने पहले कभी नहीं देखी, जो बहुत आसानी और मजबूती से नौजवानों का सही मार्गदर्शन करती हैं. भूदान आंदोलन से वापस लौट कर आश्रम के उद्देश्य का ग्रामीण क्षेत्रों में आश्रम की छात्राओं द्वारा अवकाश के दिनों में प्रचार का कार्यक्रम तय किया गया था, यह 1954 की बात थी, जब सरला बहन बिमला नौटियाल को लेकर आश्रम की गतिविधियों के लिए टिहरी को रवाना हुई. सरला बहन किसी काम के लिए नैनीताल होकर जब लौटी तो बिमला काठगोदाम रेलवे स्टेशन में इंतजार कर रहीं थीं.