![](https://www.polkhol.in/wp-content/uploads/2025/02/IMG_20250214_170847-254x300.jpg)
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में भारतीय जनता पार्टी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए 70 में से 48 सीटों पर विजय हासिल की है जिससे वह 27 सालों के बाद राजधानी की सत्ता में वापसी कर रही है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है जो सिर्फ़ 22 सीटों पर सिमट गई हैं हालाँकि कांग्रेस पार्टी के लिए यह चुनाव निराशाजनक रहा है। इस चुनाव के परिणाम के बाद सबसे चर्चित नाम दिल्ली की राजनीति में मोहन सिंह बिष्ट का है जो अपने संघर्ष, अनुभव व समर्पण के लिए जाने जाते हैं। दिल्ली में मुस्तफाबाद सीट पर जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 40% बताई जा रही है उस सीट पर भारी मतों से जीत कर अपना परचम लहरा दिया है। आइए जानते हैं मोहन सिंह बिष्ट के बारे में कुछ अनकही बातें।
मोहन सिंह बिष्ट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं, जो उत्तराखंड मूल के एकमात्र प्रमुख नेता के रूप में दिल्ली की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखते हैं। उनका जन्म अजोली गांव, जिला अल्मोड़ा, उत्तराखंड में हुआ था। उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की शिक्षा वर्ष 1976 में जी. बी. पंत इंटर कॉलेज, दयाल, जिला अल्मोड़ा, उत्तराखंड से प्राप्त की। बिष्ट ने वर्ष 1976 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ज्वाइन किया, जबकि वर्ष 1992 में वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़कर अपने राजनीतिक जीवन को और मजबूती दी।
![](https://www.polkhol.in/wp-content/uploads/2025/01/ad-2.jpg)
भाजपा नेता मोहन सिंह बिष्ट ने पहली बार 1998 में करावल नगर सीट, दिल्ली विधानसभा, से विधायक चुने गए और दिल्ली के विधानसभा पहुँचे | बिष्ट ने करावल नगर से अगले तीन चुनावों में लगातार जीत हासिल की और 2015 तक इस सीट को बनाए रखा, जिसके बाद अंततः उन्हें आम आदमी पार्टी के नेता कपिल मिश्रा से बदल दिया गया। हालांकि, उन्होंने 2020 के चुनाव में करावल नगर सीट को आम आदमी पार्टी के नेता दुर्गेश पाठक को हराकर पुनः अपने नाम जीत दर्ज की। पाँच बार विधायक रह चुके बिष्ट को करावल नगर से हटाकर कपिल मिश्रा को उम्मीदवार बनाया गया, जिसके बाद उन्हें मुस्तफाबाद से चुनाव लड़ाया गया। मोहन सिंह बिष्ट को दिल्ली के पहाड़ी समाज के सबसे मजबूत नेता के रूप में देखा जाता है। उत्तराखंड समुदाय का दिल्ली में एक बड़ा जना धार है, और बिष्ट उनकी भावनाओं और आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रमुख चेहरे हैं। उन्होंने समय-समय पर प्रवासी उत्तराखंडियों के मुद्दों को उठाया और उनके अधिकारों के लिए संघर्ष किया।
हाली की बात करें तो भाजपा की इस प्रचंड जीत के बाद अब दिल्ली की राजनीति में नए समीकरण बनने लगे हैं। जनता की निगाहें मुख्यमंत्री पद की संभावनाओं पर टिकी हैं, और मोहन सिंह बिष्ट का नाम इस दौड़ में प्रमुखता से उभर रहा है। एक अनुभवी नेता और पार्टी के वरिष्ठ सदस्य के रूप में उनकी लोकप्रियता और प्रशासनिक अनुभव उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाते हैं।
बिष्ट की सहज उपलब्धता, जनता के बीच गहरी पकड़ और संगठन में उनकी मजबूत स्थिति ने उन्हें भाजपा के सबसे प्रभावशाली चेहरों में से एक बना दिया है। बिष्ट उत्तराखंड समुदाय के प्रमुख चेहरे के रूप में वे दिल्ली में पहाड़ियों की आवाज बनकर उभरे हैं। आने वाले समय में उनकी राजनीतिक भूमिका क्या होगी, यह तो भविष्य तय करेगा, लेकिन फिलहाल, वे भाजपा और दिल्ली की राजनीति में एक अहम स्तंभ बने हुए हैं।
मेरा मानना है कि यदि मोहन सिंह बिष्ट को दिल्ली की कमान मुख्यमंत्री के रूप में सौंपी जाती है, तो वे निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह एक सशक्त और प्रभावशाली नेता के रूप में उभर सकते हैं। जिस तरह योगी आदित्यनाथ ने अपने दृढ़ नेतृत्व, प्रशासनिक क्षमता और सख्त फैसलों से उत्तर प्रदेश को नई दिशा दी है, उसी तरह मोहन सिंह बिष्ट भी दिल्ली की राजनीति में एक नया अध्याय लिख सकते हैं।