देहरादून। प्रत्येक वर्षों की भांति इस वर्ष भी उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग मुख्यालय में जनसुनवाई हुई।
उक्त जन सुनवाई में मुख्यतः यूपीसीएल के द्वारा बिजली की दरों में वृद्धि के प्रस्ताव पर सभी कैटेगरी के विभिन्न उपभोक्ताओं के द्वाराअपनी अपनी आपत्तियाँ व सुझाव रखते हुए दरों में वृद्धि न किए जाने की पुरजोर सिफारिश की गयी।
https://youtu.be/xWafvvD5rf4?si=nUJugbagQd5jdMtUhttps://youtu.be/xWafvvD5rf4?si=kpsn381YfT5QtCWg
हांलाकि यूजेवीएनएल के द्वारा पीक सीजन जब पावर जनरेशन सर्वाधिक होता है और आवश्यकताभी सबसे अधिक होती है उन दिनों में मेंटीनेंस एवं रिपेयरिंग के नाम पर अनेकों बार लिए गए नियम विरुद्ध शटडाउन के सम्बंध में यूपीसीएल के साथ पावर परचेज में अप्रत्यक्ष सांठगांठ के चलते खेले जाने वाले खेल पर पेनाल्टी डालने और कड़ी कार्यवाही का भी अनुरोध किया गया।

वहीं पिटकुल के द्वारा दो चीफ इंजीनियरों जो वर्तमान में यूपीसीएल अनिल कुमार , एमडी तथा निदेशक (परियोजना) अजय अग्रवाल हैं के वर्तमान ली-एन व नियुक्ति को लेकर पब्लिक डोमेन पर चल रही भ्रांतियों व अनुचित ढंग व आजीबोगरीब सेवा विस्तार को लेकर भी ध्यान आकर्षित करते हुए बिना किसी एक्सटेंशन एवं अनाधिकृत रूप से यूईआरसी की कार्यवाहियों में प्रतिभाग करते रहने और टेण्डरों में सहभागिता एमडी के रूप में किए जाने पर भी आपत्ति प्रस्तुत की गयी और कहा गया कि जब नियोक्ता पिटकुल को ही अपने कर्मचारियों की सही स्थिति का पता नहीं है तो ऐसे में कैसे वित्तीय लाभ व पेंशन सम्बंधी कार्यवाही होंगी और वे उचित कहलायेंगी?
उल्लेखनीय है कि यूपीसीएल के द्वारा उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी का विधिवत उपभोक्ताओं को मिलने वाले लाभ से वंचित रखने और अमानत पर ब्याज का न दिया जाना भी आपत्तिजनक है। यही नहीं जब तीनों निगम लाभ में चल रहे हैं और सरकार को लाभांश का करोड़ों का चेक देकर अपनी अपनी पीठ थपथपवाते हैं तो फिर उन लाभ में उपभोक्ताओं को बजाए लाभांश के बिद्युत दरों वृद्धि का क्या औचित्य है।
यहीं नहीं क्रियेट पावर परचेज प्रकरण में लगभग 60 करोड़ की ब्लाकेज आफ पब्लिकमनी पर लापरवाही व निष्क्रियता अपनाए जाने को लेकर भी दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही का अनुरोध किया गया।
यूपीसीएल के द्वारा कंडक्टर्स (केबिलिंग) को बार बार बदले जाने और पहले बंच केबिल और तत्पश्चात भूमिगत लाईनों का समयवधि पूरी होने से पहले बदला जाना जनधन की वर्बादी के साथ साथ जो कंडक्टर्स और बंच केबिल उतार कृ स्टोर कर यूपीसीएल दोहरी मार उपभोक्ता पर थोप रहा है वह भी जनधन की बरवादीही है इसी प्रकार पहले मैकेनिकल मीटर फिर इलैक्ट्रोनिक मीटर और उनकी अवधि पूर्ण होने से पहले ही अब स्मार्ट मीटरिंग का लगाया जाना भी आपत्तिजनक है। यदि यूपीसीएल को मीटर बदलने ही थे तो वाईबैक सिस्टम से परचेज क्यों नहीं किए गए। क्यों करोंड़ों के मीटर स्टोरों में डम्प कर दिए गए?
जनसुनवाई की सुनवाई नियामक आयोग के अध्यक्ष एम एल प्रसाद और मेम्बर अनुराग शर्मा ने की।