मध्यप्रदेश में हुआ 3000 करोड़ का ई-टेंडर घोटाला

नई दिल्ली: अभी मध्यप्रदेश में व्यापम घोटाले की धूल जमी ही नहीं थी कि एक और बड़ा घोटाला सामने आ गया। विधानसभा चुनावों से पहले ये घोटाला सरकार के लिए दिक्कत पैदा कर सकता है। ईटी के मुताबिक मध्यप्रदेश में ‘ई-टेंडर घोटाला’ सामने आया है। इसमें ऑनलाइन टेंडर देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई है। इसमें कुछ प्राइवेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने की बात सामने आ रही है।

ईटी की जांच में पता चला है कि मध्यप्रदेश जल निगम ने आंतरिक तौर पर इनक्रिप्टेड डॉक्यूमेंट में फेरबदल किया और इसे प्राइवेट कंपनियों के हिसाब से बदला गया। इसके कॉन्ट्रैक्ट इस साल मार्च में खोले गए थे। बोली में भाग लेने वाली एक बड़ी टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी ने भी इसकी शिकायत की थी। MPJNL के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन से मदद मांगी थी कि कैसे सुरक्षित इंफ्रास्ट्रक्चर में सेंध लगी।

MPSEDC के एमडी मनीष रस्तोगी 1994 बैच के अधिकारी हैं और कंप्यूटर साइंस बैकग्राउंड के हैं। उन्होंने इस मामले की आंतरिक जांच की। जांच में रस्तोगी ने पाया कि राजगढ़ और सतना जिले में ग्रामीण पानी की सप्लाई स्कीम के 3 कॉन्ट्रैक्ट में फेरबदल कर हैदराबाद की 2 कंपनियों और मुंबई की 1 कपनी को सबसे कम बोली लगाने वाला बनाया गया।

पता चला कि कुछ बोली लगाने वालों को अवैध तौर पर पहले ही पता चल गया कि सबसे कम बोली कितने की है। इन 3 प्रोजेक्ट के लिए कॉन्ट्रैक्ट की रकम 2,322 करोड़ रुपए थी। ईटी के मुताबिक इसी तरह PWD के 6 कॉन्ट्रैक्ट, जल संसाधन विभाग, एमपी रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन की ई-बोली में भी गड़बड़ी हुई। इसके लिए रस्तोगी ने टीसीएम और एंटारेस सिस्टम को 6 जून को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था।

MPSEDC ने पत्र लिखकर 6 और टेंडर को रद्द करने के लिए कहा। आंतरिक जांच में OSMO IT सॉल्यूशन पर सवाल उठ रहे हैं। OSMO को समान नंबर की आईडी के लिए 5 पासवर्ड दिए गए थे। इनको अवैध रूप से उपयोग कर बोलियों में हेराफेरी की गई। OSMO के डायरेक्टर वरूण चतुर्वेदी ने घोटाले में उनकी कंपनी के किसी तरह के रोल से इंकार किया है। रस्तोगी ने इस मामले पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।

मध्यप्रदेश के चीफ सेक्रेटरी बीपी सिंह के आदेश के बाद सभी 9 टेंडर जांच के लिए इकोनॉमिक अफेंस विंग को सौंप दिए गए। ईओडब्लू के एक अधिकारी ने ने 3000 करोड़ रुपए की रकम का अनुमान लगाया है। ईओडब्लू के एडीजी मधु कुमार ने कहा कि ‘केस जांच के गंभीर चरण में है।’

सूत्रों से पता चला है कि MPSEDC के टेंडरिंग से जुड़ा 9 टीबी का डेटा जब्त कर लिया गया है। बीपी सिंह के मुताबिक ‘इस मामले की जांत EOW कर रहा है। विभाग का कोई रोल इसमें नहीं है।’ दूसरी तरफ टीसीएस ने एक बयान में अपने किसी कर्मचारी के इस घोटाले में शामिल होने से इंकार किया है। एंतरिस ने भी कहा कि उन्होंने कारण बताओ नोटिस का जवाब दे दिया है। गड़बड़ी एप्लीकेशन में नहीं बल्कि बाहर से हुई है।

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