पत्रकारों का प्रदेश निकाला का फरमान भी जारी कर दो TSR, आप, तो सरकार हो, जनाब!

TSR साहब, अब तो ईनाम दे दीजिए अपनी पुलिस को, जिसने देवभूमि में एक बार फिर जंगलराज मात्र 7 घंटे में स्थापित कर दिखाया!

मुख्यमंत्री जी, शायद कहीं आप चाटुकारों से घिरे होंगे? तभी आपको एकबार फिर इस कलंकित घटना के बारे में पता नहीं चला होगा, वर्ना आप प्रदेश हित की आन-बान और शान धूमिल नहीं होने देते!

हम किसी कानून सम्मत अपराध और अपराधी या पत्रकारों के गुटबाजी की इस समाचार में बकालत और पैरवी नहीं बल्कि तरीके और कार्य प्रणाली की बात यहाँ कर रहे हैं! हम पक्षधर अपने प्रदेश उत्तराखंड के और जनहित के!

TSR सरकार और किसी पत्रकार (जगजाहिर) के द्ववन्द युद्ध में किसी के पक्षधर और खिलाफत में नहीं है, हम केवल पत्रकार हैं और पत्रकारिता के ही सदैव पक्षधर हैं!

अगर कोई पत्रकार पत्रकारिता का दुरुपयोग कर रहा तो संवैधानिक कार्यवाही अवश्य होनी चाहिये! पर दुर्भावना से ग्रसित होकर नहीं! ज्यादती सहन नहीं करेंगे!

वाह! आपका भयमुक्त शासन और भय मुक्त जनता का नारा!

लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकारिता का दमन और पत्रकारों का उत्पीड़न और शातिर व दुर्दांत अपराधी जैसे व्यवहार!

दमन व चाटुकार और मैनेज मीडिया से नहीं दबेंगे घोटाले और भ्रष्टाचार!

पत्रकारों के साथ पुलिसिया अनैतिक, अव्यवहारिक, अनुचित एवं अवैध कार्यवाही पर मीडिया में रोष!

पत्रकारों का प्रदेश निकाला का फरमान भी जारी कर दो TSR, आप तो सरकार हो, जनाब!

दमन और उत्पीड़न एवं मेरी कलम को दबाये जाने की आशंका मुझे भी 

TSR के रडार पर तो हम भी होंगें!

प्रिय पाठकों, आशंका तो मुझे भी इस सरकार व शासन व पुलिस से है कि न जाने कब किस झूठे प्रकरण में रस्सी का साँप बनाकर दमन का एक और हथकण्डा न जाने कब और किसको मोहरा बनाकर अपना लिया जाये, क्योंकि मैं भी इस TSR सरकार के ऊर्जा विभाग आदि के घोटालों के समाचार जब तब अपने समाचार पत्र “तीसरी आँख का तहलका” और न्यूज पोर्टल polkhol.in और सोशल व डिजीटल मीडिया में डिवेट पर बोलता व छापता व प्रकाशित करता रहता हूँ। तकलीफ और दिक्कत भी शायद TSR शासन और भ्रष्टाचार में संलिप्त कुछ नौकरशाहों को अवश्य होगी ही! 

लोकतंत्र के प्रहरी पत्रकारों से एकता का आवाह्न!

(सुनील गुप्ता, एडीटर इन चीफ)

देहरादून। बीती रात शहर के एक निर्भीक पत्रकार राजेश शर्मा, सम्पादक, क्राईम पेट्रोल को रात्रि 11 बजे करीब थाना नेहरु कालोनी इंचार्ज दिलबर सिंह नेगी व अन्य कई थानों को इंचार्ज डा. नत्थी लाल उनियाल, इंसपेक्टर धर्मेन्द्र रौतेला एवं कैन्ट थाना प्रभारी संजय मिश्रा सहित भारी पुलिस बल ने एक गैर अपराधी प्रवृर्ती के व्यक्ति को घर से बिना किसी पूर्व सूचना के उठा लिया और नेहरूकालोनी थाने के लाक अप में बंद कर दिया। बात यहीं तक नहीं रुकी बकौल हार्ट पेशेंट राजेश शर्मा की जमकर थाने में खिलाफ कानून जमकर पिटाई और धुनाई भी पुलिसिया स्टाईल में की गयी। मु.अपराध संख्या 0265 दि. 31 जुलाई 2020 में निरूद्ध किये गये पत्रकार नियमानुसार ठीक प्रकार से मेडिकल भी न कराकर पुलिस ने मनमर्जी से करा आज न्यायलय के समक्ष पेश किया जहाँ से उसे जेल भेज दिया गया।

उल्लेखनीय तो यह भी है कि जिस मामले की FIR कल दर्ज करवाई गयी है उसमें वादी एफआईआर कोई और नहीं जब साहब कुषि मंत्री थे तब उनके ही सलाहकार रहे तथाकथित रिश्तेदार डा. हरेन्द्र रावत की बताई जा रही और प्रकरण तब का ही बताया जा रहा है जब झारखंड में साहब चुनाव प्रभारी थे अर्थात लगभग तीन साल पुराना!

अब आप इस उतावले पन और पुलिस के दुरुपयोग की कहानी और आफत समझ ही सकते है!

क्यों उस बेचारे बीमार डा. हरेन्द्र रावत को मोहरा बनाकर  इस्तेमाल कर रहे हो FIR का वादी बनवाकर? 

” डा. हरेन्द्र रावत जी से इस विषय में आज हुई वार्ता के अनुसार उन्होंने 15-20 दिनों पहले अपने बैंक ट्रांजेक्शन्स को लेकर जिनपर उनके ऊपर कीचड़ उछाला जा रहा था की एसाईटी जाँच का प्रार्थना पत्र अवश्य दिया था, और उन्होंने कोई एफ आई आर राजेश शर्मा के खिलाफ नहीं कराई थी। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी उमेश, अमृतेश और राजेश शर्मा आदि को नहीं जानते और वे कल 31 जुलाई को थाने गये ही नहीं!”  दरोगा उनके पास कल और आज आया अवश्जय था बहीं दूसरी ओर डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने आज पत्रकारों से इसी बिषय पर मुलाकात में कहा कि वादी स्वयं थाने आया था,  और उसने ही FIR दर्ज कराई है! इसमें कौन सच कौन झूठ या हकीकत क्या ये तो अगर जुडीशियल जाँच हो तभी सच्चाई का खुलासा हो सकता है…!

यही नहीं वादी FIR आज सुबह ही 11: 56 बजे करीब किसी भी एफ आई आर न कराये जाने की बात खुद कह रहे थे और डीजीपी (ला एण्ड आर्डर) अशोक कुमार से पत्रकारों के इस गिरफ्तारी के प्रकरण के बाद 12:54 बजे अपनी बात से बदलते और गड़बडा़ते नजर आये। शायद पुलिस का फोन उनपर पहुँच गया होगा कि यह क्या कह रहे हो भंडा फूट जायेगा…!

अरे सरकार दमन आप पत्रकारों का करना ही चाहते हो तो, अवश्य करो मर्जी है आपकी, पर उस बेचारे बीमार डा. हरेन्द्र राबत को मोहरा मत बनाओ बख्श दो उसे…! क्यों घसीट रहे हो अपनी दमनकारी पत्रकार विरोधी नीति में!

जहाँ हुजूर से सम्बंधित हो मामला वहाँ 7 घंटें के अन्दर ही FIR भी दर्ज हो जाती है और रात्रि 11 बजे करीब दून पुलिस लोकतंत्र के प्रहरी पत्रकार को ऐसे बिना किसी पूर्व सूचना के अवैध व अनुचित एवं अनैतिक तरीके से उठा लिया जाता है जैसे वह कोई शातिर पेशेवर दुर्दान्त फरार अभियुक्त हो!

भाई वाह, उत्तराखंड पुलिस और TSR का भयमुक्त शासन व जनता! रह इस देवभूमि में पत्रकारिता के दमन और उत्पीड़न की कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी इसी सरकार के कार्यकाल में सरकार की नापसंदी के पत्रकारों के साथ हुआ है।

फिलहाल प्रस्तुत है पुलिस का वर्जन और जारी :-

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प्रेस नोट :- थाना नेहरुकोलोनी, देहरादून

दिनांक: 31-07-2020 को वादी डाॅ0 हरेन्द्र सिंह रावत निवासी: एस-1, डी-6 डिफेंस कालोनी देहरादून द्वारा थाना नेहरूकालोनी में लिखित तहरीर दी की वह एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं तथा वर्तमान में कालेज आफ एज्यूकेशन मियावाला में प्रबन्धक के पद पर नियुक्त हैं। कुछ समय पूर्व उनके एक परिचित श्री ज्योति विजय रावत द्वारा उन्हें जानकारी दी कि उमेश शर्मा नामक एक व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट की, जिसमें उनके तथा उनकी पत्नी श्रीमती सविता रावत के बैंक खातों में नोटबंदी के दौरान झारखण्ड से एक व्यक्ति अमृतेश चौहान द्वारा स्वंय को झारखण्ड गौ- सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने की एवज में रिश्वत की धनराशि श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को देने हेतु भेजी गयी तथा धनराशि के लेन-देन से सम्बन्धित कुछ कूटरचित दस्तावेज भी वीडियों के माध्यम से दर्शित किये गये, साथ ही उनकी पत्नी का मां0 मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड की धर्म पत्नी की सगी बडी बहन होने का दावा किया गया। उमेश शर्मा व अमृतेश चौहान द्वारा अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर एक सोची-समझी साजिश के तहत उनकी निजि सूचनाओं को गैरकानूनी तरीके से प्राप्त करते हुए सार्वजनिक किया। इस सम्बन्ध में उनके द्वारा अपने ऊपर उमेश शर्मा द्वारा लगाये गये आरोपों की जांच हेतु लिखित प्रार्थना पत्र वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सम्मुख प्रेषित किया गया, जिस पर राजपत्रित अधिकारी द्वारा वीडियो में उल्लेखित सभी तथ्यों की जांच की गयी तथा जांच में उक्त सभी तथ्य व दस्तावेज कूटरचित पाये गये। उमेश शर्मा द्वारा अपने अन्य साथियों, जो पर्वजन पोर्टल, पहाड टीवी समाचार चैनल तथा क्राइम स्टोरी समाचार पत्र संचालित करते हैं, के माध्यम से इस प्रकार की असत्य तथा निराधार व कपटपूर्ण खबरें अपने समाचार चैनल, पोर्टल पर चलायी गयी तथा अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करते हुए उनकी छवि को धूमिल करते हुए सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया गया।
चूंकि उक्त मामला अत्यंत गम्भीर प्रवृत्ति का था, जिस पर तत्काल अभियोग पंजीकृत करते हुए टीम गठित की गयी। गठित टीम द्वारा विवेचना के दौरान साक्ष्य संकलन की कार्यवाही करते हुए वादी तथा गवाहों के बयान लिये गये तथा उनके द्वारा उपलब्ध कराये गये अभिलेखीय साक्ष्यों तथा उक्त प्रसारित वीडियो व पुरानी पत्रावलियों का गहनता से अवलोकन किया गया। साक्ष्यों के अवलोकन से पाया गया कि उमेश शर्मा द्वारा अमृतेश चौहान, शिव प्रसाद सेमवाल तथा राजेश शर्मा के साथ मिलकर एक सोची-समझी साजिश के तहत सरकार को अस्थिर करने तथा सरकार व मां0 मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के विरूद्ध आम जन-मानस में भ्रान्ति, अप्रीति तथा घृणा उत्पन्न करने के उद्देश्य से कूटरचित दस्तावेजों को प्रदर्शित करते हुए उक्त भ्रामक वीडियो प्रसारित किया गया तथा लगातार अपने सामाचार चैनल, पोर्टल व समाचार पत्र के माध्यम से झूठी व भ्रामक खबरें प्रसारित की गयी। जिस पर तत्काल अभियुक्तगणों की गिरफ्तारी हेतु एक टीम गठित की गयी तथा गठित टीम उक्त अभियोग में अभियुक्त राजेश शर्मा को दिनाक: 31-07-2020 की रात्रि सुमन नगर, चोरखाला से गिरफ्तार किया गया। अन्य अभियुक्तों की यथाशीघ्र गिरफ्तारी हेतु टीम को निर्देशित किया गया है। गिरफ्तार अभियुक्त को आज माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया जायेगा।
उक्त अभियोग की गम्भीरता के दृष्टिगत अभियोग के समयबद्ध विधिक निस्तारण हेतु पुलिस उपमहानिरीक्षक/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक देहरादून द्वारा पुलिस अधीक्षक अपराध के पर्यवेक्षण में एसआईटी गठित की गयी है, जिसमें उ0नि0 दिलबर सिंह नेगी थानाध्यक्ष नेहरू कालोनी, उ0नि0 धर्मेन्द्र रौतेला थानाध्यक्ष प्रेमनगर, उ0नि0 नत्थीलाल उनियाल थानाध्यक्ष बसन्त विहार, उ0नि0 आशीष रावत चौकी प्रभारी बाईपास तथा कां0 दीप प्रकाश को नामित किया गया है।

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शावाश पुलिस हमें आप पर और आपकी कार्यप्रणाली पर गर्व है!

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