हिमाचल, उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश सहित देश के अनेकों राज्यों में आज धरने, प्रदर्शन व हड़ताल !

सीटू, इंटक, एटक सहित देश की दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों,देश के पांच सौ किसान संगठनों

हिमाचल, उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश सहित देश के अनेकों राज्यों में आज धरने, प्रदर्शन व हड़ताल !

(वीना पाठक)

शिमला (हिमाचल)। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के संयोजक डॉ कश्मीर ठाकुर,सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, इंटक प्रदेशाध्यक्ष बाबा हरदीप सिंह, महासचिव सीता राम सैनी,एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश भारद्वाज, महासचिव देवक़ीनन्द चौहान, हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष अध्यक्ष कुलदीप तंवर व महासचिव डॉ ओंकार शाद ने सफल हड़ताल के लिए हिमाचल प्रदेश के मजदूरों, किसानों, कर्मचारियों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं व सामाजिक रूप से पिछड़े तबकों को बधाई दी है व इस हड़ताल को ऐतिहासिक करार दिया है।

उन्होंने कहा कि सीटू, इंटक, एटक सहित देश की दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों,देश के पांच सौ किसान संगठनों, एसएफआई, डीवाईएफआई, जनवादी महिला समिति,दलित शोषण मुक्ति मंच,हिमाचल प्रदेश प्राइवेट बस ड्राइवर कंडक्टर यूनियन, बीएसएनएल, एलआईसी, बैंक, पोस्टल, एजी ऑफिस, केंद्रीय कर्मचारियों, ऑल इंडिया रोड़ ट्रांसपोर्ट, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, एचपीएसईबी, बिजली मजदूर, मनरेगा, निर्माण व सार्वजनिक क्षेत्र के मजदूरों की दर्जनों फेडरेशनों के संयुक्त मंच द्वारा किये गए राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों में परवाणु,बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, गगरेट, टाहलीवाल, कालाअंब, पौंटा साहिब आदि औद्योगिक क्षेत्रों के लाखों औद्योगिक मजदूरों, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, जलविद्युत परियोजनाओं, मनरेगा,निर्माण, अस्पतालों,  सड़क परिवहन, एसटीपी, कॉन्ट्रैक्ट, पार्ट टाइम, कैज़ुअल व अन्य क्षेत्रों के मजदूरों, किसानों, छात्रों, युवाओं, महिलाओं व सामाजिक तौर पर पिछड़े तबकों द्वारा हड़ताल के बाद विशाल प्रदर्शन किए गए।

इस दौरान औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत ट्रोला व ट्रकों आदि के न चलने से अर्थव्यवस्था को करोड़ों रुपये का घाटा उठाना पड़ा। प्रदेश के इतिहास में पहली बार प्रदेश की चार हज़ार निजी बसों के ड्राइवर कंडक्टर हड़ताल पर उतरे। राष्ट्रव्यापी हड़ताल का असर पूरे प्रदेश में रहा।

इस दौरान बीएसएनएल, बैंक, पोस्टल, बीमा व अन्य केंद्रीय कर्मचारियों के संस्थानों तथा बिजली बोर्ड जैसे हिमाचल सरकार के संस्थानों में धरने,प्रदर्शनों व रैलियों से सरकारी काम बुरी तरह प्रभावित हुआ। राष्ट्रव्यापी हड़ताल के आह्वान पर शिमला, ठियोग, रामपुर, सोलन, परवाणु,बद्दी, नालागढ़, बघेरी, अर्की, भागा बलग, नाहन, शिलाई, सराहन, संगड़ाह, बिलासपुर, ऊना, गगरेट, हमीरपुर, धर्मशाला, बैजनाथ, मुलथान, रैत, चंबा, होली बजोली, मंडी, सरकाघाट, जोगिंद्रनगर, थलौट, बालीचौकी, करसोग, निहरी, टापरी, कुल्लू, बंजार, आनी, पतलीहकुहल, चुवाड़ी आदि स्थानों में मजदूरों व कर्मचारियों द्वारा जबरदस्त प्रदर्शन किए गए। इसी के साथ किसानों,निर्माण व मनरेगा मजदूरों द्वारा देहात बन्द किया गया।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने देशव्यापी हड़ताल के सिलसिले में जानकारी देते हुए बताया कि सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर ठाकुर ने हमीरपुर, प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने शिमला,राज्य महासचिव प्रेम गौतम ने कुल्लू,, इंटक प्रदेशाध्यक्ष बाबा हरदीप सिंह ने परवाणु,राज्य महामंत्री सीताराम सैनी ने पालमपुर, इंटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश चंद्र भारद्वाज ने सोलन, राज्य महासचिव देवक़ीनन्द चौहान ने ठियोग में प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने मांग की है कि मजदूरों को इक्कीस हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए। आउटसोर्स व ठेका मजदूरों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक नियमित मजदूरों की तर्ज़ पर समान काम के लिए समान वेतन दिया जाए। आंगनबाड़ी,मिड डे मील व आशा जैसे स्कीम वर्करों को नियमित किया जाए। मोटर व्हीकल एक्ट में ट्रांसपोर्टर विरोधी संशोधन वापिस लिए जाएं। मनरेगा व निर्माण मजदूरों के कल्याण बोर्ड को मजबूत किया जाए। आउटसोर्स के लिए ठोस नीति बनाई जाए। वर्ष 2003 के बाद लगे कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम(ओपीएस) बहाल की जाए। स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को सख्ती से लागू किया जाए। देश के चौबालिस श्रम कानूनों में संशोधन करके उन्हें केवल चार श्रम संहिताओं में बदलने व श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी व पूँजीपतिपरस्त परिवर्तनों, किसानों के खिलाफ बनाए गए तीन कानूनों व नई शिक्षा नीति को तुरन्त वापिस लिया जाए। महिलाओं के शोषण व अत्याचार पर रोक लगाई जाए। बढ़ती बेरोज़गारी पर रोक लगाई जाए।

ऐसा ही नजारा आज उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश सहित देश के अनेकों राज्यों में देखने को मिला।

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