डोईवाला चीनी मिल में लाखों की चीनी बही : अधिकारी मस्त

डोईवाला चीनिमिल अधिकारियों की लापरवाही से लाखों रुपये की सैकड़ों क़वेंटल चीनी बही..?
ईडी व चीफ इंजीनियर : कोई नुकसान नही हुआ..!
प्रबंधक नेगी ने कन्नी काटी!
गत वर्ष टिन शेड की सैकड़ों चादरों का लाखों का किया गया था फ़र्ज़ी भुगतान : गोलमाल की भी संभावना!

कर्मचारियों को 3-3 माह से नही दिया वेतन!
देहरादून। एयरकंडीशन रूम में बैठने बाले चीनी मिल के आला अधिकारियों की लापरवाही और सूझबूझ का नमूना एक ही रात की बारिश में देखने को मिला है जिससे लाखोँ रुपये की सैकड़ों कुंटल चीनी टूटे हुए टीनशेड के कारण वह गई। और मिल के PCS ईडी व मुख्य अभियंता किसी भी प्रकार के नुकसान ना होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
यदि अनुमान लगया जाए तो 3200/ क़वेंटल की कीमत से बेची जाने बाली सैकड़ों क़वेंटल बही लगभग सैकड़ों बैग चीनी लाखोंऔर करोड़ों की कीमत की हो सकती है। एक बैग 50-50kg का होता है।
(सलंग्न फ़ोटो व वीडियो देखिए जो स्वमं ही पूरी कहानी बयां कर रहे हैं)
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ड्रायलर हाउस सहित कारखाने में रखी चीनी दो दिन पूर्व हुई भविष्यवाणी के उपरांत पानी पानी होकर वह गयी। बताया जा रहा है कि मिल के इन टीनशेड की दो ढाई सौ चादरों को बदले जाने का लाखों का भुगतान तो किया गया था परंतु चादरों का हाल बद से बदतर ही नज़र आ रहा ऐसा लग रहा है कि चादरें ना बदल कर फ़र्ज़ी भुगतान करके घोटाले को अंजाम भी दिया जा चुका है।
चीनी मिल के प्रबंधक / चीफ केमिस्ट नेगी ने फोन पर आवाज ना सुनाई पड़ने का नाटक करके जानकारी देना भी उचित नहीं समझा जिससे साफ झलक रहा है कि दाल मे कुछ काला नही बल्कि पूरी दाल ही काली है। यही नही “तीसरी आँख का तहलका” को मिली खबर की पड़ताल के चलते मिल प्रबंधकों में हड़कंप मच गया और अब फ़टाफ़ट समाचार लिखे जाने के चलते मजदूरों से सफाई कराकर ढकने व छुपाने के प्रयास किया जा रहा है।
ज्ञात हो कि एक तरफ़ चीनी मिल के स्थायी व सीजनल सैकड़ों श्रमिकों का तीन तीन माह से वेतन का भुगतान नही किया जा रहा है तथा 2015-16 से अबतक के अनेकों देयों का भुगतान लम्बित पड़ा है दूसरी तरफ चीनी मिल अधिकारियों की लापरवाही और भृष्टाचारी रवैये से लाखोँ का नुकसान पहुंच रहा है।
उल्लेखनीय है कि यह हाल उस विधानसभा क्षेत्र का है जहां से प्रदेश के मुखिया खुद TSR सीएम हैं!
देखना गौरतलब होगा की इस लापरवाही और नुकसान पर सरकार कुछ एक्शन में आती है या फिर मजदूरों को ही इसका शिकार बनाएगी? या फिर जांच पर जांच की नौटंकी करती है….!


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