Big Breaking : राजधानी दून के तिब्बती मार्केट में मिला खून से लथपथ पिस्टल सहित युवक का शव

दून पुलिस के नियंत्रण से बाहर अपराधी और अपराध!

देहरादून। राजधानी में भी लगातार सुसाइड और मर्डर और लूट के मामले नितप्रति सामने आ रहे अभी कुछ समय पहले ही एक होटल में एक मामला सामने आया था और कल ही दिनदहाड़े पर्स की लूट, ठगी जैसे अपराधों के मामले सुनने को मिलते ही रहते हैं, आज एक ऐसा ही मामला तिब्बती मार्केट का भी सामने आया हैं जहाँ पर एक युवक का खून से लथपथ शव बरामद हुआ हैं।

सूत्रों के अनुसार देहरादून के परेड ग्राउंड के एक किनारे प्रसिद्ध तिब्बत मार्केट के पास एक युवक का शव मिलने से सनसनी फैल गई।

तिब्बती मार्केट के पास खून से लथपथ युवक का शव बरामद हुआ। इसकी सूचना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्ट मार्टम के लिए भेजा। पुलिस को मौके से पिस्टल भी बरामद हुई।

पुलिस के अनुसार उक्त युवक ने सुसाइड किया है। पुलिस के अनुसार युवक ने खुद को गोली मारी है जो की देहरादून में रहता है।

ज्ञात हो कि इस प्रकरण में कोतवाल मणिभूषण श्रीवास्तव ने जानकारी दी कि मृतक युवक की पहचान संजय बिष्ट (50 वर्षीय) के रूप में हुई है। मृतक तिब्बती मार्केट में ही किसी दुकान पर ही काम करता था। युवक ने खुद को गोली क्यों मारी और उसके पास बंदूक कहां से आईऔर संदिग्ध हत्या या आत्महत्या जैसे सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है।

यह भी ज्ञात हो कि एसपी सिटी श्वेता चौबे ने घटनास्थल पर पहुंच कर उचित आदेश कर मामले को शीघ्र उजागर कर घटना के कारणों का पता लगाकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने को कहा है।

उल्लेखनीय यह नहीं की हत्या और आत्महत्या की घटनाओं में इजाफा हो रहा है, उल्लेखनीय तो यह है दून पुलिस के आलाफ़सर जो दो- दो पदों पर सुशोभित हैं, अपराध की रोकथाम पर सार्थक व निष्पक्ष कार्यवाही कम और राजनीति के वशीभूत होकर रस्सी का सांप और साँप का रस्सी बनाने में ज्यादा सक्रिय दिखाई पड़ते हैं जिससे ठगों, लुटेरों और अपराधियों के हौसलें पढ़े हुए है।

दरअसल दून पुलिस सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियाँ उड़ाने में पीछे नहीं है और उल्लंघन में कुछ ज्यादा ही विश्वास रखती है तथा आदेशो के विपरीत बापर्दा प्रथम दृष्ट्या आरोपियों को सुर्खियों में वेपर्दा कर मीडिया व अखबारों में छाए रहने और ड्यूटी नहीं बल्कि नायाब तीर मारने को ज्यादा ही पसंद करती है! भाषणों और दम्भ भरने बाली इनकी कार्यप्रणाली असल काम करने बाले पुलिस के जवान व दरोगा हतोत्साहित होते भी दिखाई पड़ रहे हैं।
क्या देवभूमि की सरकार इस और भी ध्यान देगी या चापलूस अफसरों से ही घिरी रहेगी?

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