हिमाचल में मुख्यालयों पर धरने प्रदर्शन

हिमाचल में मुख्यालयों पर  मजदूरों व किसानों द्वारा दलितों, महिलाओं, पिछड़ों के उत्पीड़न व हाथरस घटना के खिलाफ हुए धरने प्रदर्शन

(वीना पाठक)

शिमला।  सीटू,अखिल भारतीय किसान सभा व अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त राष्ट्रीय आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर मजदूरों व किसानों द्वारा दलितों,महिलाओं,पिछड़ों के उत्पीड़न व हाथरस घटना के खिलाफ धरने प्रदर्शन आयोजित किये गए। शिमला के डीसी ऑफिस में मजदूरों द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया जिसमें सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा,प्रदेश उपाध्यक्ष जगत राम,किसान सभा नेता राकेश सिंघा,किसान संघर्ष समिति महासचिव संजय चौहान,जनवादी महिला समिति महासचिव फालमा चौहान,डीवाईएफआई राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बलबीर पराशर,बालक राम,हिमी देवी,राकेश कुमार,रामप्रकाश,सुरेंद्र बिट्टू,पूर्ण चन्द,अमित,अनूप कुमार,धनेश कुमार,उजागर सिंह आदि ने भाग लिया।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व उपाध्यक्ष जगत राम ने कहा कि देश में दलितों,महिलाओं व पिछड़ों पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। उनका शोषण बढ़ रहा है। उनके दमन में निरन्तर इज़ाफ़ा हो रहा है। उनकी हत्याओं की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। महिलाओं से बलात्कार की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है। नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में दलितों,महिलाओं व पिछड़ों पर अत्याचार लगातार बढ़ा है व पिछले वर्षों की तुलना में कई गुणा ज़्यादा हुआ है। हाथरस की घटना इसका ज्वलन्त उदाहरण है जहां पर न केवल दलित युवती का बलात्कार किया गया अपितु उसकी रीढ़ व गले की हड्डी तोड़ दी गयी। युवती का समय पर न तो प्रदेश सरकार द्वारा इलाज करवाया गया और न ही कई दिनों तक दोषियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। युवती की मृत्यु होने पर रात को ढाई बजे उसकी लाश को परिजनों की अनुपस्थिति में आनन-फानन में मिट्टी का तेल डालकर जला दिया गया। युवती के परिजनों को पुलिस व प्रशासन द्वारा बुरी तरह डराया धमकाया गया। परिजनों से प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा संवेदनहीन बर्ताव किया गया। मीडिया तक को कई दिनों तक युवती के परिजनों से नहीं मिलने दिया गया। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पीड़ित के परिजनों का नार्को टेस्ट करवाने की बात से सरकार की संवेदनहीनता साफ नजर आती है। इस से स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार व प्रशासन दोषियों को बचाने में लगे हुए थे।

उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि दलितों,महिलाओं व पिछड़ों के खिलाफ अत्याचार व उनकी हत्याओं के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। रोहित वेमुल्ला की आत्महत्या भी इसका एक उदाहरण है। हिमाचल में गुड़िया,केदार जिन्दान,रजत व मेध राम की हत्या भी इसी के उदाहरण हैं। इन सभी पीड़ितों को सरकार व प्रशासन की नीरसता के कारण आज भी न्याय नहीं मिल पाया है। उन्नाव घटनाक्रम भी सरकार की संवेदनहीनता को ही दर्शाता है। उन्होंने मांग की है कि एससी एसटी एक्ट को मजबूत किया जाए। हाथरस घटना के दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। इस घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश की अध्यक्षता में करवाई जाए। पीड़ित के परिवार को सुरक्षा दी जाए। दलितों,महिलाओं व पिछड़ों पर अत्याचार करने वालों को सख्त सज़ा दी जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *