वाह रे, वाह आबकारी विभाग भी नशे की खुमारी में! लाईसेंस कहीं का और दुकान कहीं पर खोल कमायें लाखों ! पुलिस संरक्षण में लाकडाउन-3 के चलते बेची गई कैसे शराब?

वाह रे, वाह आबकारी विभाग भी नशे की खुमारी में!

लाईसेंस कहीं का और दुकान कहीं पर खोल कमायें लाखों

यहाँ तो पूरी शराब की दुकान अवैध है?

न पुलिस का डंडा चला और न ही खुले आम धड़ल्ले से शराब बेचने वाले पर कोई हुई कार्यवाही

बल्कि पुलिस संरक्षण में लाकडाउन-3 के चलते बेची गई कैसे शराब?

देहरादून। अगर कोई ब्यक्ति शराब लेकर जा रहा होता है तो पुलिस का डंडा और कानूनी चाबुक में देर नहीं लगती परन्तु यहाँ तो पूरी दुकान ही पुलिस के संरक्षण में पूरे दिन कल खुली और धड़ल्ले से बिकी लाखों की अंग्रेजी शराब, ऐसे में भला जो पुलिस खुद खडे़ होकर शराब विकवा रही थी पर अब होगी क्या कार्यवाही?

इस तरह से कहीं का लाइसेंस और कहीं पर दुकान खोलकर नियमविरूद्ध शराब की बिक्री का यह कोई पहला मामला नहीं है। शराब और खनन माफियाओं के आगे घुटने टेकती आ रही TSR सरकार व सत्ताधारी नेताओं व विधायकों के संरक्षण में पहले भी ऐसा होता रहा है और नियमों को खुले आम ठेंगा भी दिखाया जाता रहा है साथ ही भारी राजस्व की भी बली चढ़ती रही है।

अब बात अगर हम इस दौरान “कोविड-19” के अन्तर्गत लाकडाउन -3 में आबकारी विभाग और शराब की दुकानों को मिली छूट की करें तो उसमें क्या ऐसा भी कहीं उल्लेख या अभयदान है कि जहाँ चाहो बिना अनुमति के ही लाईसेंस के विपरीत कहीं भी मनचाही जगह पर दुकान खोल लो और बेचो खुले आम शराब!

ज्ञात हो कि इसी कडी़ में जो मामला व जानकारी प्रकाश में आई है उसके अनुसार कल सहस्त्रधारा रोड पर कुल्हान गाँव के लिए लिए गये अंग्रेंजी शराब एफ एल-5 के लाईसेंस की दुकान को भारी कमाई के चक्कर में साँठगाँठ के चलते काफी दूर नियम विरूद्ध गुजराडा़ में खोल कानून की धज्जियाँ उडा़ते हुये उसी पुलिस के संरक्षण में गत दिवस प्रातः 7 बजे से 4 बजे तक लाखों की शराब बेची गयी। इस सम्बंध में जब आज क्षेत्रवासी लामबंद हुये तो भारी गतिरोध के बीच आज दुकान खुल तो नहीं सकी पर पुलिस व जिला प्रशासन पर सवालिया निशान लगाते हुये TSR सरकार पर एक बार फिर प्रश्न (?) चिन्ह अवश्य लगा रही है।

उल्लेखनीय तो यहाँ यह भी है कि जिला आबकारी विभाग भी शराब की हो रही बम्पर बिक्री में इतना मदमस्त हो गया है उसे नियमों और कानूनों की सुध ही नहीं और इस अनियमितता को गम्भीरता से न लेते हुये बडी़ आसानी से अनमने मन से देख रहा है। आज जब हमारे ब्यूरोचीफ द्वारा इस सम्बंध में नियमों व उनके अनुपालन की जानकारी चाही गयी तो उनका गोलमोल जबाव सुनकर यकीन हो गया कि वास्तव में TSR सरकार और शासन नहीं बल्कि यें माफिया ही प्रदेश सहित राजधानी दून को भी चला रहे हैं और तभी प्रशासन व पुलिस इनके आगे नतमस्तक है। ये वही पुलिस है जो रोजाना अधिकांश थाने व चौकियों में माननीय पुलिस उपमहानिरीक्षक/ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशा व आदेशानुसार अवैध शराब की खबरों से सुर्खियाँ बटोरती रहती है।

सूत्रों की अगर यहाँ माने तो उक्त एफ एल -5 की दुकान का लाईसेंस कुल्हान गाँव के नाम पर आँवटित हुआ है और यह दुकान मोबाईल ठेली की तरह तरह कभी कृषाली चौक (ऊषा कालोनी के निकट) और कभी कहीं खुल जाती है। इससे पहले जब कृषाली चौक पर खुली थी तो वहाँ आईएएस अधिकारियों के दबाव के चलते हट गयी थी। वैसे तो इस दुकान की कहानी तो TSR के क्षेत्र गूलरघाटी से शूरु होकर वाया कुल्हान होकर गुजराडा़ पर आकर टिक गयी है और (अब किसी मल्नाहोत्रा के) नाम बदल-बदल कर टोपी घुमाने की चाल के अनुसार नेताओं व सत्ताधारी विधायकों के संरक्षण में राजस्व (आर सी पर आर सी) को भी भारी चूना साँठगाँठ और अनदेखी के चलते लगा चुकी है।

पता तो यह भी चला है कि यह मामला कल ही डांडा लखौंड के एफ एल -5 के लाईसेंसी द्वारा जिला आबकारी अधिकारी के संज्ञान में लाकर आपत्ति दर्ज कराई जा चुकी थी, पर साहब हैं कि ….!

देखना यहाँ गोरतलब होगा कि TSR सरकार और उसके आला अधिकारी व पुलिस इस पर क्या रुख अपनाती है या फिर यूँ ही इस मामले को भी…!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *