राजधानी दून के प्रशासन और चिकित्सा विभाग की घोर लापरवाही से जनजीवन खतरे में !

कोविड 19 की धज्जियाँ उडाता ऊर्जा विभाग!

राजधानी दून के प्रशासन और चिकित्सा विभाग की घोर लापरवाही से जनजीवन खतरे में !

पिटकुल में फैला कोरोना संक्रमण : एमडी/अपर सचिव व चेयरमैन/सचिव पर डीएम ने  कोई एफआईआर तक नहीं की दर्ज : गम्भीर सवाल?

क्या सारे नियम और कानूनी तोहमतें, जनता पर ही हैं?

(ब्यूरो चीफ सुनील गुप्ता की विशेष रिपोर्ट)

देहरादून। कोविड-19 जब से अपने रंग रूप में आया तभी से शासन, प्रशासन और पुलिस का डंडा और चाबुक बेचारी जनता पर ऐसे चला कि मानो हिटलर फिर जिन्दा हो गया हो! रोजाना शाम को पुलिस व जिलाधिकारी की ओर से बुलेटिन रूपी प्रेस नोट जारी होने लगे कि आज मास्क न लगाने और आपदा अधिनियम के उल्लंघन में अथवा चेकिंग के दौरान इतने स्कूटर सवारों से इतने चालान कर हजारों और लाखों में जुर्माना वसूला गया तथा इतने लोंगो के विरुद्ध कोविड के उल्लंघन की कार्यवाही करते हुये भारी भरकम संख्या में लापरवाही में मुकदमें दर्ज किये गये आदि आदि! विपक्षी पार्टियों और समस्याओं से त्रस्त आंदोलनकारियों पर भी उल्लंघन की खूब कार्यवाहियाँ हुईं – होनी भी चाहिए क्योंकि प्रश्न राष्ट्रीय आपदा का है। परन्तु वहीं क्या कभी किसी प्रशासनिक आला अधिकारी, पुलिस और चिकित्सा विभाग ने कभी किसी सरकारी विभाग और निगम के मुखिया के विरुद्ध आपदा अधिनियम के उल्लंघन पर 188 की कार्यवाही योजित की अथवा कोशिश भी की?

ऐसा ही एक घोर लापरवाही और कोविड के उल्लंघन का मामला उत्तराखंड के ऊर्जा विभाग के एक निगम का सामने आया है जो स्वयं में ही राजधानी की चरमराती व लचर प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल रहा है और उस पर सवालिया निशान भी लगा रहा है।

सूत्रों की अगर यहाँ माने तो सचिव ऊर्जा की चेयरमैनशिप के आधीन पिटकुल में विगत तीन चार दिनों से निरंतर कोरोना संक्रमण फैलता जा रहा है और कोरोना पाजिटिव यहाँ के लेखा विभाग और मानव संसाधन विभाग के कुछ जिम्मेदार अधिकारी कोरोना पाजिटिव होने के वावजूद कोविड हास्पिटल में भर्ती न होकर चुपचाप से अपने-अपने घरों में दुबक गये हैं। इनके अतिरिक्त लगभग एक दर्जन अधिकारी व कर्मचारी भी कोरोना संक्रमण के शिकार हुये बताये जा रहे हैं।

यही नहीं पिटकुल मुख्यालय न ही सील किया गया है और न ही कोविड की कोई कार्यवाही चेयरमैन या एमडी पिटकुल द्वारा संज्ञान के उपरांत भी अभी तक की गयी है बल्कि जानबूझकर आला अफसर होने का दुरुपयोग करते हुये सच्चाई को इनके द्वारा ही छिपाया जा रहा है।

ज्ञात हो कि पिटकुल मुख्यालय “विद्युत भवन” में लगभग 300 छोटे बडे़ कर्मचारी व अधिकारी और इंजीनियर निरंतर आ रहे हैं तथा कोरोना संक्रमण से बचने के लिए चालीसा पाठ पर निर्भर हैं।

सूत्र तो यह भी बताते हैं कि पिटकुल भवन को जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग द्वारा कन्टेनमेंट क्षेत्र भी घोषित नहीं किया गया है और न ही कोई सूचना व चेतावनी मुख्यालय के गेट पर लगाई गयी है परिणाम स्वरूप कान्ट्रेक्टर्स व अन्य लोंगों का भी आवागमन निरंतर जारी है जिससे आसपास के क्षेत्र एवं जनता में भी कोरोना संक्रमण फैल रहा है।

उल्लेखनीय यह भी है कि सचिवालय में बैठ कर इन निगमों को चलाने वाले जिम्मेदार आला अधिकारी (सचिव और अपर सचिव) जो चेयरमैन और एमडी के पद पर सुशोभित हैं के विरुद्ध अभी तक कोई भी कार्यवाही व आपदा अधिनियम के अन्तर्गत कोविड-19 के उल्लंघन की दण्डात्मक कार्यवाही महज इसलिए नहीं की गयी है क्योंकि वे आईएएस हैं! यहाँ पर यह भी उल्लेख करना आवश्यक होगा कि यदि सचिवालय में बैठे इन आला अधिकारियों को अपने आधीनस्थ निगम की खैरखबर नहीं और कोई लगाम व पकड़ नहीं तो फिर इनकी तैनाती पर और इनकी प्रशासनिक क्षमता पर भी भी सवालिया निशान लगना लाजमी है!

क्या यही है प्रशासनिक व्यवस्था और इनकी लचर कार्यप्रणाली? तथा जनता को उसी के हाल पर छोड़ देने का गैर जिम्मेदाराना रवैया और दिखावटी ढोल पीट पीट कर खुद की पीठ थपथपाने का तरीका?

यहाँ यह भी उल्लेख करना कोई अतिश्योक्ति न होगी कि कलक्ट्रेट और सचिवालय अथवा नगर निगम में भी कोरोना संक्रमण की आहट आते ही इन्हें तो तत्काल प्रभाव से बंद कर अधिकारियों द्वारा अपने जीवन मूल्यों को जनता व जन सामान्य के जीवन से अधिक मानकर सुरक्षित कर लिया गया था परंतु जहाँ जनता के जीवन से खिलवाड़ हो रहा है वहाँ ऐसी निष्क्रियता व लापरवाही  क्या उचित है?

देखना यहाँ गौर तलव होगा कि जनता पर लगाम कसने वाले जिलाधिकारी और पुलिस तथा चिकित्सा विभाग इस घोर लापरवाही और अनियमितता तथा कोरोना संक्रमण को छिपाये जाने के विरूद्ध क्या क्या कार्यवाही करता है?

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