क्या अडानी ने रोक दिया बाबा के बढ़ते हौंसलों को ? – Polkhol

क्या अडानी ने रोक दिया बाबा के बढ़ते हौंसलों को ?

सपने बड़े थे और देश के भविष्य के साथ संजोय गए थे।  शायद इसलिए जब बाबा रामदेव, अपने आयुर्वेद प्रोडक्ट को पतांजलि  के औषधालयों से बाहर  लेकर बाजार में दाखिल हुए तो देश ने उन्हें हाथों हाथों लिया। तीन साल के बेहद कम समय में बाबा ने भारत के रिटेल बिज़नेस को नए तरीके से परिभाषित कर विदेशी कंपनियों के टर्नओवर के आंकड़े गड़बड़ा दिए।  पतांजलि सीधे 5 हज़ार करोड़ से 7 और 7 से 10 हज़ार करोड़ की कम्पनी बन गयी । लेकिन चमत्कार से भरी मुनाफे की ये कहानी पिछले साल तक ही चमत्कार करती रही है। आज आलम ये है क़ि योगाधिराज बाबा रामदेव आधे रास्ते में ही हांफते हुए दिखने   लगे हैं।

हमी सो गए दास्ताँ कहते कहते

अप्रैल 2017 में बाबा रामदेव ने एलान किया था कि  पतंजलि अगले साल यानी  2018 में  20,000 करोड़ रूपए की कम्पनी बन जाएगी।  बाबा ने तब हिंदुस्तान लीवर, कोलगेट-पालमोलिव  और नेस्ले जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सीधे चुनौती दी थी।  उन्होंने कहा था  कि बहुत जल्द देश में कंस्यूमर प्रोडक्ट्स के मैदान में इन विदेशी मठाधीशों के गढ़ ढहने वाले हैं। बाबा के एलान का असर ये था कि कोलगेट जैसी ब्रांड लीडर जल्द ही हर्बल टूथपेस्ट लेकर मैदान में उतरी ।  नेस्ले और हिंदुस्तान लीवर ने भी हर्बल प्रोडक्ट्स पर ज़ोर देना शुरू किया और अपने विज्ञापन बजट बढ़ा दिए। लेकिन प्रचार के चरम पर पतांजलि ही अपने उत्पादन पर क्वालिटी कंट्रोल नहीं कर पायी।  देसी घी और दन्त कांति  टूथपेस्ट छोड़कर पतांजलि के बाकी कंस्यूमर प्रोडक्ट्स बाजार में मज़बूत जगह बनाने में नाकाम दिखे।  जनवरी 2018 आते आते पतंजलि का सेल्स ग्राफ बढ़ने की जगह थमने लगा।

मार्किट एजेंसी क्रेडिट स्विस के मुताबिक पतांजलि के हेयर केयर और हनी प्रोडक्ट की बिक्री में तेज़  गिरावट दिखी।  ऐसा कहा जा रहा है कि  ये प्रोडक्ट्स बाबा के ज़बरदस्त  प्रचार के दम से बिकने लगे थे लेकिन उनकी शुद्धता को लेकर संशय रहा।  खासकर शहद और हर्बल कास्मेटिक आइटम ग्राहक को प्रभावित न कर सके। गाय का देसी घी भी इन्ही पैमानों पर फिसल गया। सिर्फ दन्त कान्ति ही कोलगेट या पेप्सोडेंट को  टक्कर दे सकी लेकिन बाद में बाबा की टूथपेस्ट भी कमाल करते नहीं दिखी। वित्तीय वर्ष 2017-18 में जहाँ बाबा ने पतांजलि को 20,000 करोड़ के टर्नओवर का टारगेट दिया था वहीँ पतंजलि उसके आधे यानी 10,000 पर ही आकर रुक गयी। ये बाबा के युवा सहयोगी और पतांजलि के करता धर्ता बालकृष्ण के लिए भी बड़ा झटका था जो भारतीय बाजार को बदलने की बातें बार बार कर रहे थे।

गौतम अडानी से लगा बाबा रामदेव को ज़बरदस्त झटका

कभी बाबा के खास रहे गुजरात के उद्योगपति  गौतम अडानी ने रामदेव को एडिबल आयल सेक्टर में बड़ा झटका दिया।  दरअसल अपना व्यापार बढ़ाने के लिए बाबा, प्रतिष्ठित कम्पनी रूचि सोया को खरीदना चाहते थे। क़र्ज़ में डूबी रूचि सोया को खरीदने के लिए बाबा ने 5700 करोड़ की बोली लगाई थी। बाबा के इस दांव से दंग बाजार, पतंजलि को कंस्यूमर प्रौडक्ट्स के सेक्टर में बड़ा खिलाडी मानने लगा था। अगर रूचि सोया को पतांजलि  खरीद लेती तो निश्चित रूप से बाबा, देश में वनस्पति तेल के अरबों रूपए के बाजार में चमक जाते।  लेकिन रूचि सोया में तभी अडानी ग्रुप ने भी रूचि दिखाई। फिर खरीद फरोख्त की ऐसी प्रक्रिया शुरू हुई कि  समूची इंडस्ट्री की निगाह पतांजलि और अडानी  विल्मर ग्रुप पर  टिक गयी। बाबा का 5700 का दांव इतना भारी था, कि लगा अडानी पीछे हट जायेंगे।  पर अचानक अडानी ने रूचि सोया को खरीदने के लिए 6000 करोड़ की बोली लगाई और बाज़ी पलट दी।

बाबा और अडानी के बीच प्रतिस्पर्धा फिर कारपोरेट युद्ध में बदल गयी  और पतांजलि ने अडानी विल्मर की बोली पर सार्वजनिक तौर पर कई तरह के आरोप जड़ दिए।  बहरहाल विवादों में फसी इस डील में आखिर अडानी विजेता हुए और बाजार में बाबा की  बिज़नेस टैक्टिस  पर सवाल उठने लगे। ऐसा कहा जा रहा है कि रूचि  सोया को हासिल करने के चक्कर में पतांजलि अपने बाकी प्रोडक्ट्स पर ठीक से  केंद्रित नहीं हो सकी।  बाबा का टीवी प्रचार भी कम हुआ और कुलमिलाकर पतांजलि की क्वालिटी कण्ट्रोल और मार्केटिंग  पिछले साल  की तुलना में कमज़ोर होती गयी । लेकिन आधे रास्ते में हांफते दिखे बाबा अब भी हिम्मत नहीं हारे हैं।  वे भले ही 20,000 करोड़ के लक्ष्य से बहुत पीछे रह गए लेकिन  बाजार की इस मैराथन दौड़ में वे अभी भी 10,000 करोड़ के बड़े टर्न ओवर पर जमे हैं।

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