नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सोमवार को कहा कि भारतीय न्यायपालिका दुनिया में सबसे अधिक सुदृढ़ संस्था है और युवा वकील हमारी संपदा है जिनमें न्याय शास्त्र को विकसित करने की क्षमता है। उच्चतम न्यायालय परिसर में आयोजित विदाई समारोह को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हमारी न्यायपालिका दुनिया में सबसे शक्तिशाली है जिसमे मुकदमों की विस्मित करने वाली संख्या से निबटने की क्षमता है।’’
निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘न्याय का मानवीय चेहरा होना चाहिए।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इतिहास कभी कृपालु और निष्ठुर हो सकता है। मैं लोगों का उनके अतीत से नहीं बल्कि उनकी गतिविधियों और दृष्टिकोण से आकलन करता हूं। न्यायाधीश के रूप में अपने पूरे जीवन में मैंने कभी भी स्वंय को समता से अलग नहीं किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं प्रत्येक स्तर पर बार का ऋणी हूं और यहां से संतुष्ट होकर जा रहा हूं।’’
प्रधान न्यायाधीश ने मनोनीत प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के बाद समारोह को संबोधित किया। न्यायमूर्ति गोगोई ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि नागरिक स्वतंत्रता के मामले में उनका अनमोल योगदान है और इस संबंध में उन्होंने न्यायमूर्ति मिश्रा के हाल के फैसलों को उद्धृत किया। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि न्यायमूर्ति मिश्रा एक विलक्षण न्यायाधीश हैं। न्यायमूर्ति गोगोई बुधवार को देश के नए प्रधान न्यायाधीश के पद की शपथ ग्रहण करेंगे।
न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘यदि हम अपने सांविधानविक आदर्शो को कायम रखने में विफल रहे तो हम लगातार एक दूसरे को मारते रहेंगे और उनसे नफरत करते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के सभी न्यायाधीश पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और हमेशा ही प्रतिबद्ध रहेंगे। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, ‘‘हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब हमें क्या खाना और पहनना चाहिए भी हमारे निजी जीवन की छोटी बातें नहीं रह गई हैं।