उत्तराखंड के कई अफसर अचल संपत्ति का ब्योरा नहीं दे रहे हैं, लेकिन कई ऐसे भी अफसर हैं जिनका ब्योरा चौंकाने वाला है. आकंड़ों के मुताबिक कई अफसर ऐसे हैं जो मालामाल है. यूपी की योगी सरकार ने हर महकमें में विजिलेंस विंग गठित करने का फैसला लिया है. ऐसे में क्या उत्तराखंड सरकार भी इस दिशा में कोई पहल करेगी ?.
उत्तराखंड सरकार में कई ऐसे अधिकारी है जिनकी जिन्होंने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है, लेकिन जिन अधियाकारियों ने यह ब्योरा दिया है उनका विश्लेषण करें तो दर्जन भर अधिकारी ऐसे हैं जो मालामाल है. एडीएम, एसडीएम सहित कई अधिकारी ऐसे हैं जिनकी संपत्ति में “दिन दूनी रात चौगुनी” बढ़ोतरी हुई है. उत्तर प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार ने हर विभाग में ऐसे अधिकारियों पर नजर रखने के लिए विजिलेंस टीम तैनात करने का फैसला हाल ही में लिया है. ऐसे में उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने भी कहा है कि उनकी सरकार भी जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है और ऐसे मामलों में जरूरी कदम उठाएं जाएंगे.
उत्तराखंड के अलग-अलग क्षेत्रों में तैनात अफसरों में से जिन अधिकारियों ने अपना ब्योरा दिया है उनमें दर्जन भर अधिकारी ऐसे हैं. जिनकी अचल संपत्ति पत्नी और दान मे मिली संपत्ति को मिलाकर पचास लाख से ज्यादा कीमत की है. इन अधिकारियों में अनिल सिंह गर्ब्याल की संपत्ति 2.65 करोड़, हरबीर सिंह की संपत्ति 1.59 करोड़, प्रताप सिंह शाह की संपत्ति1.41 करोड़, नारायण सिंह नबियाल की 90 लाख, ललित मिश्र की 90 लाख, कैलाश सिंह टोलिया की 80 लाख, बी.एस.चलाल की 56.25 लाख रुपये, चन्द्र सिंह मर्तोलिया की संपत्ति करीब 72 लाख रुपये, हेमंत वर्मा की संपत्ति 56.67 लाख, अनिल चन्याल की 51 लाख, प्रकाश चंद्र की 64 लाख रुपये और सुंदरलाल सेमवाल की 53 लाख रुपये हैं.
इन अधिकारियों के अलावा कुछ अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी अचल संपत्ति शून्य दर्शायी है. प्रदेश में कई बार अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत सीएम के दरबार तक पहुंची है, लेकिन जांच और कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली जाती है. विजिलेंस के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2015 से अक्टूबर 2017 तक के बीच ट्रैपिंग के करीब 48 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 33 मामले कोर्ट में लंबित चल रहे हैं. जानकार मानते हैं कि सरकार में बैठे मंत्री ही अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दे रहे हैं तो फिर अधिकारियों से क्या उम्मीद की जा सकती है.
सरकार के मंत्री अपनी अचल संपत्ति का ब्यौरा देने में फिसड्डी है तो फिर अधिकारियों से क्या उम्मीद की जाए. फिलहाल कुछ अधिकारियों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा देने की हिम्मत दिखाई है और विस्तृत जानकारी भी दी है, लेकिन उन अधिकारियों का क्या करें जो अपनी संपत्ति का ब्योरा देने में हिचक रहे हैं. सवाल यह है कि क्या जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार क्या उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी?.