अवैध रूप से चल रहे हैं हल्द्वानी में प्राइवेट हॉस्पिटल – Polkhol

अवैध रूप से चल रहे हैं हल्द्वानी में प्राइवेट हॉस्पिटल

निर्माण मानकों का पालन कराने के नाम पर विकास प्राधिकरण और टाउन प्लानिंग के अस्तित्व में आने के बावजूद हल्द्वानी में अवैध निर्माण का खेल जारी है।
पड़ताल में साफ हुआ कि प्राधिकरण की शुरुआत के बाद बीते दो साल में शहर में 15 से अधिक ऐसे छोटे-बड़े क्लीनिक, नर्सिंग होम और अस्पताल खुले हैं, जिनका संचालन व्यावसायिक भवनों के बजाय घरों में किया जा रहा है। खास बात यह है कि इस तरह के निर्माण को प्राधिकरण के पास नक्शा पास करवाने के अलावा सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, लोनिवि और टाउन प्लानिंग की एनओसी लेना अनिवार्य है। इतने स्तरों पर ‘जांच’ और एनओसी प्रक्रिया के बावजूद यह साफ है कि एनओसी बिना मानक आंखें बंद कर बांटी जा रही हैं।

टाउन प्लानर कुमाऊं शशिमोहन श्रीवास्तव का कहना है कि लोनिवि, सिंचाई सहित दूसरे विभागों से एनओसी मिलने के बाद ही टाउन प्लानिंग की ओर से आगे की कार्रवाई की जाती है। स्वास्थ्य विभाग और प्राधिकरण की भी जिम्मेदारी होती है। इसके बाद ही टाउन प्लानिंग एनओसी देता है।

वहीं हल्द्वानी विकास प्राधिकरण के सचिव पंकज उपाध्याय का कहना है कि नक्शा नियमानुसार ही पास किया जाता है। अगर कहीं निर्माण कार्य में नक्शे के विपरीत काम किया गया मिलता है तो उस पर कार्रवाई की जाती है। शहर में ऐसे अस्पताल और क्लीनिक चल रहे हैं तो प्राधिकरण टीम इनकी जांच करेगी। कार्रवाई की जायेगी।

अस्पताल, नर्सिंग होम में यह जरूरी
-एक हजार वर्गमीटर क्षेत्र जरूरी
-दो ईसीएस की पार्किंग खुली और बंद होना अनिवार्य
-आग से बचने को निकासी द्वार
-लिफ्ट और सीढ़ी दोनों अनिवार्य
-आगे व पीछे की ओर खुली जगह
-30 फीट की रोड एक ओर अनिवार्य
-भीतर रैंप होना अनिवार्य
-आकार के अनुसार पानी की स्टोरेज क्षमता

राजस्व की भी भारी चपत
अस्पतालों-क्लीनिकों के व्यावसायिक भवनों में संचालन के मानक अलग हैं, जिससे सरकार को राजस्व की भी अच्छी प्राप्ति होती है। लेकिन हल्द्वानी में क्लीनिक, नर्सिंग होम, अस्पताल, अल्ट्रासाउंड सेंटर घरों में चलाये जाने से ये व्यावसायिक श्रेणी में दर्ज ही नहीं हुये हैं। यानी इन पर राजस्व संबंधी नियम भी लागू नहीं हो रहे हैं। इसके चलते सरकार को भी खासा नुकसान हो रहा है।

इन मानकों की अनदेखी
-लैबोरेटरी और क्लीनिक के लिये न्यूनतम 500 वर्गमीटर क्षेत्र
-मैटरनिटी हॉस्पिटल के लिये न्यूनतम प्लॉट क्षेत्रफल 1000 वर्गमी.
-जमीन पर मालिकाना अधिकार हॉस्पिटल-क्लीनिक संचालक का हो
-निर्माण के दौरान दिये गये नक्शे की मौके पर जाकर अनिवार्य जांच
-सड़क और नहर से निश्चित दूरी अनिवार्य रूप से होनी चाहिये

इस तरह चल रहा नियमों से खेल
1-मुखानी चौराहे के पास एक घर में नाक-कान, गले का अस्पताल चल रहा है। यहां न सिर्फ ओपीडी चलती है, बल्कि घर के ही कमरों में मरीजों के ऑपरेशन भी किए जाते हैं। आवासीय कॉलोनी में इस अस्पताल के संचालन की अनुमति टाउन प्लानिंग से लेकर स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े कर रहा है। 2-हीरानगर में दो अल्ट्रासाउंड और रेडियोलॉजी क्लीनिक कुछ समय पूर्व ही खुले हैं। इनमें से एक सेंटर दो कमरों के घर में चल रहा है। टाउन प्लानर से एनओसी कैसे जारी हुयी, इसकी कोई जानकारी नहीं है। प्राधिकरण ने नक्शा भी पास कर दिया, जबकि मौके पर स्थिति अलग है। यहां भी बड़े खेल की आशंका है।

लोगों पर रेडिएशन का खतरा
आवासीय कॉलोनी में रेडियोलॉजी सेंटर खुलने पर उससे रेडिएशन का खतरा होता है। एक्स-रे, सीटी स्कैन आदि से काफी रेडिएशन होता है। इसे रोकने के लिए कंक्रीट की मोटी दीवारें बनाना अनिवार्य होता है, लेकिन घरों में चल रहे रेडियोलॉजी सेंटरों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में इन घरों के आसपास रह रहे लोगों पर हर वक्त खतरा बना रहता है।

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