स्वरूप नगर स्थित प्राइवेट अस्पताल ने सोमवार को मानवता को शर्मसार कर दिया। डॉक्टर मुर्दे का इलाज करते रहे। पहले मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया, फिर दो घंटे बाद आईसीयू में भर्ती कर लिया। 18 घंटे बाद फिर मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मौत 24 घंटे पहले ही हो चुकी थी और मरीज का इलाज सुबह तक चलता रहा। परिजनों ने थाने में हॉस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ तहरीर दी है।
फतेहपुर के बेलंदा केशवपुर गांव निवासी फूल सिंह यादव (58) रविवार सुबह डीसीएम की टक्कर से घायल हो गए थे। उन्हें गंभीर हालत में हैलट रेफर किया गया। हैलट आईसीयू में जगह न होने के चलते बगल में ही स्थित रमाशिव सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। भतीजे पिंटू यादव का आरोप है कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने रविवार शाम चार बजे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद बकायदा डेथ सर्टिफिकेट जारी कर स्वरूप नगर थाने में सूचना भेज दी। इस बीच परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। विवाद के बीच पुलिस पहुंची तो रात आठ बजे जिंदा घोषित करते हुए फूल सिंह को दोबारा आईसीयू में भर्ती कर लिया गया।
परिजनों का आरोप है कि दवा और इलाज के नाम पर अस्पताल प्रबंधक ने 50 हजार रुपए फिर जमा करा लिए। इसके पहले एक लाख रुपए लिए जा चुके थे। सोमवार सुबह 10 बजे तक फूलसिंह का आईसीयू में इलाज होता रहा। 10:32 बजे फिर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। आक्रोशित परिजनों ने फिर हंगामा शुरू कर दिया। स्वरूप नगर इंस्पेक्टर देवेंद्र दुबे मौके पर पहुंचे और कार्रवाई का आश्वासन देकर लोगों को शांत कराया। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। सोमवार शाम को पीएम रिपोर्ट से पता चला कि फूलसिंह की मौत तो 24 घंटे पहले यानी रविवार शाम करीब 4 बजे अधिक खून बहने से हो गई थी। भतीजे सुनील ने स्वरूप नगर थाने में अस्पताल के डॉक्टर एके सिंह के खिलाफ तहरीर दी है। इंस्पेक्टर ने बताया कि जांच के बाद रिपोर्ट दर्ज की जाएगी।
रमाशिव अस्पताल के डॉक्टर एके सिंह ने कहा, इलाज में कोई लापरवाही नहीं बरती गई। शाम 4 बजे मरीज का ब्रेन डेड हो चुका था। इस वजह से डेथ सर्टिफिकेट तैयार कराया गया। इस बीच हंगामा करते हुए परिजनों ने डेथ सर्टिफिकेट छीन लिया। अस्पताल से इन्हें डिस्चार्ज नहीं किया गया था। हार्ट बीट चलने के कारण इलाज किया गया। मौत सुबह 10:32 बजे हुई है।
एसपी पश्चिम संजीव सुमन ने कहा, मृतक के परिजनों की तहरीर के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। परिजनों का आरोप है कि जिंदा को मुर्दा घोषित कर दिया गया। सांस चलने की जानकारी होने पर दोबारा इलाज शुरू किया और फिर मौत हो गई। जांच के लिए सीएमओ को रिपोर्ट भेजी गई है। सीएमओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी डॉक्टर और हॉस्पिटल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का भी अध्ययन किया जा रहा है।