रानीखेत : एसओजी ने दबिश देकर जाली नोटों का कारोबार चलाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के शातिर सदस्य को धर दबोचा है। आरोपित पिछले सात सालों से वांछित था। हैरत की बात यह कि वह पुलिस को चकमा देकर पहाड़ में ही ठिकाना बनाकर रह रहा था। इससे मित्र पुलिस के सत्यापन अभियान की मुहिम पर भी सवाल उठने लगे हैं।
मामला साल 2011 का है। द्वाराहाट में स्थानीय लोगों की मदद से पुलिस ने जाली नोटों का कारोबार करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्यों को दबोच लिया था। ठाकुरद्वारा मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) निवासी शमा और नौशाद को पुलिस थाने की ओर ले जा रही थी, लेकिन इस दौरान शातिर नौशाद भाग निकला। इधर, हैदराबाद से संचालित गैंग की सदस्य शमा को न्यायालय ने जेल भेजने का आदेश दिया।
छह माह तक जेल में रहने के बाद उसे उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई। हालांकि, निचली अदालत ने उसे इसी मामले में आठ साल कैद की सजा सुनाई। पुलिस के अनुसार वह फिलहाल जमानत पर है। वहीं दूसरी ओर नौशाद की गिरफ्तारी को पुलिस खाक छानती रही पर वो कभी द्वाराहाट, कभी रानीखेत तो कभी सल्ट ब्लॉक की तरफ ठिकाना बना लेता। पेशे से कबाड़ी नौशाद ने भिक्यासैंण निवासी युवती से निकाह भी कर लिया।
इन दिनों वह नैल गांव मानिला (सल्ट ब्लॉक) में पुलिस को चकमा देकर रह रहा था। एसओजी पुख्ता सूचना पर कई दिनों से सर्विलांस के जरिए उसके पीछे लगी रही। शुक्रवार को शातिर नौशाद रानीखेत में एसओजी के हत्थे चढ़ गया। छापामार टीम उसे लेकर जिला मुख्यालय रवाना हो गई है, जहां आरोपित को न्यायालय में पेश किया जा रहा है।