- खबर आज भी राहत की : उत्तराखंड, छठे दिन भी कोई कोरोना संक्रमित नहीं, फिर विराम लग गया, संख्या 37 हुई!
…परन्तु अगर यही हाल रहा तो फिर भगवान ही मालिक होगा राजधानी का
दास्ताने दून नगर निगम
(सुनील गुप्ता की खास रिपोर्ट)
पहले जो आई खबर :-
देहरादून। कोरोनावायरस covid-19 को लेकर कंट्रोलरूम द्वारा जारी हैल्थ बुलेटिन के अनुसार आज लगातार छठे दिन भी कोई नया कोरोना पाजिटिव नहीं मिला।पर उस समय विराम लग गया जब आठ बजे बुलेटिन आया और दो नये पाजिटिव केस मिलाकर संख्या 37 हो गई।
उत्तराखंड में लॉकडाउन के सख्ती से पालन के चलते, और यहाँ की अधिकांश जनता की खुद की गम्भीरता और सहयोग के चलते अब आशा बंध रही थी कि यदि यही स्थिति कोरोना जंग को जीतने की बनी रही तो बहुत जल्दी ही प्रदेश के अधिकांश जनपदों में 3 मई से पहले ही सशर्त छूट मिल सकती है। परन्तु अब…!
कोरोना वारियर्स की कठोर मेहनत भी इस वायरस से उत्तराखंड धीरे धीरे जंग जीतने की ओर बढ़ने लग रहा था सरकार भी सोच बिचार में लग गयी थी, परन्तु राज्य में छठे दिन आज भी कोरोना का कोई पॉजिटिव मामला नहीं आया, पर ग्रहण लग गया।
ज्ञात हो कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी शाम पाँच बजे के बुलेटिन में 127 लोगों की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। राज्य में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा आज छठे दिन भी 35 से आगे नहीं बढ़ा, 7 लोग कोरोना वायरस को मात देकर ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके थे। अब जबकि लॉकडाउन की अवधि 3 मई तक बढ़ जाने के बाद इस बात के लिए प्रदेश वासी आशान्वित हैं कि 3 मई तक उत्तराखंड कोरोना वायरस से जंग पूरी तरह जीत चुका होगा, बशर्ते लोग इस लॉक डाउन और होम क्वॉरेंटाइन का सख्ती से पालन भी करें। परन्तु अब स्थिति ही एक बार एकाएक फिर बदल गईऔर संख्या 37पहुँच गई।
…खुली रहीं आँखें यह मेरे इंतजार की हद थी, और वे न आये यह उनके…!
वैसे भी राजधानी के नगर निगम व भाजपा विधायकों और कुछ मंत्रीगणों की महज दिखावा करने व मीडिया और बड़े समाचार पत्रों में में छपास और दिखास की आदत पर अब इन्हें खुद बखुद गम्भीरता से विराम लगाना ही होगा तथा शहर के मुख्य केन्द्र व मीडिया के जमावड़ा व फोकस से और चाटुकारिता से दूर रहकर जन सेवाओं से जुड़े सरोकारों और कार्यों को हकीकत में बदलने की आवश्यकता को समझना होगा।
…कुछ को देख कतराते हैं ये, और कुछ को देख इतराते हैं, ये तथाकथित चाटुकारिता पसंद..
दिखावों और थोथी दिखावटी कार्यप्रणाली में कुछ तथाकथित नौटंकीबाज अधिकारी भी हकीकत कुछ और, दिखावटी दाँत कुछ और की कहावत को चरितार्थ करके अपना खेल खेलने में बड़ी चतुराई से ऐसे राष्ट्रीय आपदा की घड़ी में भी लगे हुये हैं, चूक नहीं रहे हैं।

इनके इन कारनामें की सच्चाई हालाँकि बाद में सामने तो आयेगी ही परन्तु तब तक सरकार व जनता के मंसूबों का पलीता अवश्य लग चुका होगा। बताया तो यह भी जा रहा है कि नगर को सुरक्षित रखने व सफाई युक्त रखकर छिड़काव आदि के लिए लाखों और करोड़ रुपये के यंत्र, पिठ्ठू स्प्रे मशीने, 500लीटर, 1000 लीटर, व 3000 लीटर की छिड़काव करने वाली मशीनें और लाखों लीटर छिड़काव हेतु लाखों का सैनेटाइजिंग केमिकल आ चुका हैं पर कुछ दिखाई हकीकत में पड़े तब…
उल्लेखनीय यह भी है कि प्रदेश के मुखिया TSR की बारबार लाकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की अपील का भी उल्लंघन उन्हीं के कुछ खास नेता, मंत्री और विधायक जब तब करते ही अभी तक तो देखें ही गये हैं।
यही नहीं अगर हम पिछले सप्ताह के कैमरे में कैद कुछ तसवीरों और वीडियो पर नजर डालेंगे तो सारा माजरा और इनकी गम्भीरता अपने आप ही सारी दास्तान बयाँ करती नजर आयेगी।
वैसे ये कोई पहला मौका नहीं है जो मेयर साहब और उनके नगर आयुक्त किसी तामझाम का दिखावा जनधन पर कर रहें हों। पहले की प्लास्टिक वाली मानव श्रंखला जैसे मात्र आयोजनों को भी नगर की जनता भूल नहीं पियु है जिसने सम्मान दिया तो था पर उन्हें क्या पता ये सब…?
दूसरी ओर जब राजधानी के मेन चौक घंटाघर पर गत शुक्रवार को राजपुर विधायक व शहरी बिकास मंत्री एवं मेयर व नगर आयुक्त सहित भारी भरकम निगम के अमले और उन पर टुट पड़े चाटुकार तथाकथित जनता के ठेकेदार कहलाने बाले पत्रकारों व मीडिया की भीड़ भी लाकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग को भूल, चेहरा दिखाने और देखने के चक्कर में पलीता लगाने में मस्त कुछ कम व पीछे नहीं दिखाई पड़ रही है।
मजे की बात तो यह भी है कि इस छपास के नशे के मदमस्त नगर आयुक्त और मेयर साहब सोशल डिस्टेसिंग के साथ साथ लाकडाउन और प्रधानमंत्री मोदी की भीड़ नहीं लगाना है को भुला एक तरफ रखते ही दिखाई दिए।
यही नहीं यह भी भूल गये कि उनका वह वादा भी उन्हें ही पूरा करना था जिसमें उन्होंने कहा था कि शहर को पूर्णतया सैनेटाइज कर दिया जायेगा और प्रत्येक गली व मोहल्लों में अभियान के रूप में छिड़काव कराने का काम किया जायेगा। परन्तु हमेशा की तरह गलियों की तो दूर शहर की अधिकांश सड़कें भी आज सफाई व सैनेटाईजेशन के इंतजार में हैं और जनता की भी आँखें पथरा गईं।
हकीकत तो यह है कि इनकी इस कार्यप्रणाली का अनुमान इन्हीं का अनुसरण कर रहे सफाई टीम व अधिकारियों की कथनी और करनी का अनुमान, नगर में विचरण करने से ही आसानी से लगाया जा सकता है। लोगों का कहना है कि इससे बढ़िया तो पहले ही था कम से कम मोहल्लों और गलियों में सफाई तो रहती थी। अब यह काम भी शायद नागरिकों को ही अपने जीवन की रक्षा में खुद ही करना पड़ेगा? वैसे बार्ड के अधिकांश पार्षद भी इस समय कहीं अन्तरध्यान से हो गये हैं।
काश! जहाँ ये जमावड़ा लगाते है यदि उसके आसपास का क्षेत्र ही देख लेते तो भी शायद नगर की भोली भाली जनता को यकीन हो जाता कि ये जैसा कह रहे हैं शनै शनै एक दिन परवान चढ़ ही जायेगा।
क्या ऐसे ही नगर प्रशासन दूर भगायेगा कोरोना और बनेगा करोना वारियर्स या फिर….!
क्या प्रदेश के मुखिया इन अपने नेताओं व जन सेवकों को कुछ सिखाएगें या फिर सारे पाठ जनता को हीं पढाने हैं?
(देखिए नगर के 9 व 10 अप्रैल के कुछ खास बोलते फोटो व वीडियो)