वाह रे, वाह ऊर्जा विभाग ! पूर्व लिखी इबादत का खिल गया खेल !! चल गया काला जादू!
यूपीसीएल को नहीं मिला कोई एमडी और निदेशक परिचालन
पिटकुल में डीएफ बने दिल्ली के सुरेन्द्र बब्बर
अभी बने रहेंगे वीसीके मिश्रा एमडी और अतुल निदेशक परिचालन
(राग दरबारी का बैराग : अर्ध सत्य)
देहरादून। बहुप्रतीक्षित साक्षात्कार जो कल सचिवालय में हुये किन्तु अजब गजब स्थित अभी भी बरकरार रही तथा अप्रत्याशित परिणाम सुनने में आ रहें है, जिनसे परिस्थितियाँ बजाये सुलझने के और उलझ सी गयी हैं।
सूत्रों की अगर मानें और इन परिणामों को माने तो यूपीसीएल के एमडी वीसीके मिश्रा अपनी 60 बर्ष की आयु पूरे होने तक अर्थात 31 जुलाई तक फिलहाल एमडी बने रहेंगे। इसी प्रकार निदेशक परिचालन अतुल अग्रवाल 24 जुलाई (नियुक्ति शर्त 5 बर्ष की अवधि पूरी होने ) तक निदेशक के साथ साथ एमडी पिटकुल के प्रभारी बने रहेंगे।
पिटकुल में निदेशक वित्त के पद पर दिल्ली ट्रांसको से आये सुरेन्द्र बब्बर का चयन हुआ, इस पद पर तीन शार्ट लिस्ट हुये जिनमें से दो साक्षात्कार में उपस्थित व एक की विजीलेंस क्लीयरेंस रिपोर्ट न आने से (उसे साक्षातकार में नहीं बुलाया गया) के कारण इस पद का परिणाम अन्तिम और फाईनल बताया जा रहा है।
ज्ञात हो कि एमडी यूपीसीएल के लिए एक शार्टलिस्ट था जो उपस्थित नहीं हुआ जिस कारण इस पद पर नये सिरे से नयी प्रक्रिया होगी?
इसी प्रकार निदेशक परिचालन यूपीसीएल पर 15 शार्टलिस्ट हुये थे जिनमें से 6 साक्षात्कार में उपस्थित हुये, इनमें से कोई भी उपयुक्त नहीं पाया गया?
उल्लेखनीय तथ्य वैसे तो इसबार के साक्षात्कार और प्रक्रिया में अनेकों हैं। जिनको हम अपने समाचार में पहले भी उजागर कर चुके हैं। डीएफ, पिटकुल की चयन प्रक्रिया भी विजीलेंस क्लीयरेंस के न मिलने के नाम पर एक विवादित खेले गये खेल के रूप में चर्चित हो रही है क्योंकि जिस शार्टलिस्ट प्रत्याशी एस के तोमर को साक्षात्कार में नहीं बुलाया गया उसकी रिपोर्ट शासन को 23 जून को ही प्राप्त हो चुकी है।
मजेदार बात तो यह है कि काला जादू का खेल आखिर चल ही गया! और उस मशहूर कहावत के अनुसार कि कुनवा बिगडा़ तो बिगडा़ क्यों…! वाली बात और गुणाभाग व चर्चित पुरानी परम्परा कायम रही तथा गेटिंग सैटिंग का खेल और मैच की तरह फिक्सिंग न हो पाने के आसार अधिक और दयानतदारी कम इसबार भी दिखाई पड़ रही है! वैसे तो वैरागी के जहन में सबाल यहाँ अनेकों हैं जिन्हें जनहित व प्रदेश हित में जल्दी ही उजागर करने का हमारा प्रयास होगा। किन्तु एक महत्वपूर्ण तथ्य का यहाँ जिक्र किया जाना उचित होगा कि TSR के शासन में भी रस्सी को साँप और साँप को रस्सी बनाने के महारथियों का बर्चस्व अधिक दिखाई पड़ रहा जिसके चलते कुछ इबादतें जो पहले ही लिखी जा चुकी है ये साक्षात्कार तो एक छोटा सा मंच और नाटक का रूप था। आगे आगे देखिए होता है क्या और कैसे कैसे अपने चहेतों और लाडलों को एडजेस्ट करने के लिए इस गुले गुलजार में गुल खिलेंगे! यही नही इसमें क्या उम्र और क्या अहर्तायें बदले जाने की प्रक्रिया अपनाई जानी है वह भी सर्वविदित हो ही चुकी है! उसका एक पार्ट बनाई गयी विशेष समिति की रिपोर्ट बताई जा रही जो इनके मनसूबों को पूरा करने के लिए ही बताई जा रही है!
वाह रे वाह, TSR आपकी पारदर्शिता और वाह रे आपका भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति! धन्य हैं आप और धन्य हैं आपके दरबार के ये कीमती नवरत्न आलाअफसर जिन्हें ब्यूरोक्रेट्स भी कहा जाता है।
भाजपा की डबल इंजन की प्रदेश सरकार केन्द्र के उलट यहाँ इनकी कठपुत्ली साबित होगी लगता तो नहीं था, परन्तु अब यकीन होने लगा है! खैर समय सब बतायेगा भी और दिखायेगा भी?