शावाश : कोरोना काल में जनसेवा और इंसानियत का पर्याय बना डीएलएसए और खेवनहार जज नेहा कुशवाहा ने ली एक अक्षम असहाय की सुध !
(फोटो उस समय की जब सड़क पर बैठा था)
देहरादून। जहाँ इस युग में अधिकांश लोग किसी वेसहारा और दरिद्र व असहाय को देखकर मुँह फेर कर बचते हुये निकल जाते हैं वहीं एक ऐसी शख्शियत भी है जो न्याय ही नहीं करती बल्कि इंसानियत और जनसेवा का धर्म निभाते हुये उन-उन के जीवन से अंधियारे को भगाकर नई जिन्दगी भरने का वह अनूठा प्रयास करती देखी जा सकती है जिसकी जितनी भी प्रशंसा और सराहना की जाये कम है।
कोरोना काल के दौरान जहाँ लोंगो ने परस्पर दूरियाँ बढा़कर अपनी जान की ही परवाह की है, किन्तु डीएलएसए की युवा व परिश्रमी एवं जुझारु सचिव एवं सिविल जज (सीनियर डिवीजन) नेहा कुशवाहा तथा उनके साथ तन्मयता से लगे हुये वालिंटियर्स का एक ऐसा उदाहरण सामने आया है जिसमें एक शख्श की केवल जिन्दगी को ही नहीं बचाया बल्कि साक्षात वह करिश्मा कर दिखाया है जिसे आप देख कर स्वतः ही वाह बोल उठेंगे।
(अब की फोटो)
प्राप्त जानकारी के अनुसार बीते 27 जुलाई को राजधानी दून के प्रेमनगर ठाकुरपुर क्षेत्र से मैडम को खबर मिली कि एक बडी दयनीय एवं अजीवो गरीव दशा में सड़क के किनारे जमीन पर थरथर काँप रहा है तथा राहगीरों से भरी उस सड़क के राही मुँह फेर कर निकलते जा रहे हैं। उस असहाय की मदद व देख करके निकलते जा रहे हैं और कोई उसे नशेडी़ तो कोई ड्रग एडिट और कोई पागल बता घृणा की दृष्टि से बजाये उसकी मदद करने के और हाल जानने की कोशिश करता, न करके निकलते रहे और वह विक्षप्त टकटकी लगाये इन हेय दृष्टि वालों की ओर बेचारा बन निहारता रहा। तभी किसी रंजीत नामक ब्यक्ति ने इंसानियत का प्रतिविम्ब बनी जज नेहा कुशवाहा को जानकारी दी।
बस फिर क्या डीएलएसए सचिव ने बिना देरी किये अपने एक वालिंटियर्स नजमा परवीन व अन्य की ड्यूटी लगाकर जिम्मेदारी सोंपी और मार्ग दर्शन किया।
परिजनों से मिलाने और पता लगाने के लिए एसएसपी दून को लिखा गया है, फिलहाल उक्त अक्षम व्यक्ति को अभी उसी नशा मुक्ति केन्द्र में रखा गया है। उक्त युवक इस समय गोल्डन ड्रीम नशामुक्ति केन्द्र, माजरा में है। तीन दिन में ही उक्त अक्षम एवं लोंगो की हेय दृष्टि में आये इस युवक को जब सम्भाँला गया तो वही विक्षप्त देख कर लोग वाह कहने लगे।