गुस्ताखी : बैंक फ्राड आदि के मामले को अब नहीं लटका पायेगी पुलिस : डीआईजी जोशी
आईओ से साँठगाँठ के चलते खुले आम घूम रहा खातेदारों को चूना लगाने वाला बैंक मैनेजर?
अनेकों खातेदारों व बैंक को करोंडों की चपत लगा चुका, फिर भी आजाद?
देहरादून। अभी तक एक ही ऐसा विभाग माना जाता था कि यदि कप्तान साहब ने आदेश किये हैं तो उस पर लापरवाही नहीं होगी, परंतु अब तो डीआईजी के आदेश भी एक दरोगा के ठेंगे पर दिखाई देने लगे हैं परिणाम स्वरूप एफआईआर दर्ज कराने वाले पीडि़तों को ही विवेचना अधिकारी परेशान कर-कर के चलते टालमटोल निरंतर किये जा रहा है।
ज्ञात हो कि एफआईआर में नामजद अभियुक्तों और मुख्य आरोपी बैंक मैनेजर के विरुद्ध सम्बंधित बैंक के द्वारा दस्तावेजी प्रमाणों का पुलिंदा भी साक्ष्य के रूपमें दिया जा चुका है। यही नहीं उक्त बैंक फ्राड के अनेकों और मामले भी पुलिस विवेचना अधिकारी दरोगा के पास आ चुके हैं किन्तु दरोगा जी हैं कि मानने को ही तैयार नहीं है और सीओ व एसपी सिटी अपने उक्त दरोगा के विरुद्ध कुछ सुनने को तैयार नहीं है।
उक्त आप बीती दास्ताँ और पीढा़ सुनाते हुये वादी एफआई आर दीपक शर्मा का कहना है कि अगस्त माह में भी पुलिस ने उक्त फ्राड बैंक मैनेजर डंगवाल को गिरफ्तार न करके बैंगलौर जाने दिये और अब फिर जब वह नामजद अभियुक्त बैंक मैनेजर दून आया हुआ तब भी उसे गिरफ्तार न करके ढील दे रही है ताकि वह साक्ष्यों को मिटा सके और गवाहों व उनपर अनुचित दबाव बना अपराधों पर पर्दा डालने में सफल हो जाये। यही नहीं उल्टे उन्हीं का उत्पीड़न आईओ द्वारा किया जा रहा है।
दीपक शर्मा का कहना है कि वे कल तेज तर्रार कार्यप्रणाली वाले डीआईजी साहब से मिलकर आधीनस्थ पुलिस अधिकारियों की दास्ताँ सुना एक बार और कार्यवाही के लिए फिर गुहार लगायेंगे! उन्होंने यह भी बताया कि डीआईजी साहब ने अपराधों पर कार्यवाही की एक सीमा भी इसी माह तय करते हुये कड़क आदेश भी पारित किये हुये हैं फिर भी एक दरोगा के स्तर पर उक्त आदेश का निरंतर उल्लघंन पुलिस की कार्यप्रणाली पर सबालिया निशान लगा रहा है। ज्ञात हो कि एक दरोगा द्वारा वरिष्ठ कप्तान व डीआईजी के आदेशों का इस तरह से उल्लघंन गम्भीर है।
उल्लेखनीय है कि उक्त बैंक फ्राड के विरुद्ध विगत एक अगस्त को डीआईजी साहब व डीजीपी अशोक कुमार साहब के आदेश पर शहर कोतवाली में मु.अ.संख्या 0221 वमुश्किल तमाम 22 दिन बाद दर्ज हुई थी। तत्पश्चात और भी कई लोंगो के मामले इसी कारपोरेशन बैंक के पुलिस के पास आ चुके हैं किन्तु पुलिस का अपराधियों से रिश्ता ऐसे अपराध व अपराधियों को ही शह देता नजर आ रहा है।