अभी भी जारी है दबंगई, जारी है अवैध कटान, होगी प्लॉटिंग और बनेगा वेडिंग पॉइन्ट?
पुलिस, राजस्व, वन, उद्यान एवं प्रशासन की चुप्पी व सांठगांठ से हरे व फलदार सैकड़ों बृक्षों के बगीचों का हो रहा है, सफाया ! बड़े अधिकारियों व सत्ताधीशों की शह की आशंका ! ग्रामीणों की शिकायतों पर लेते यदि संज्ञान, तो न होती हरे व पेड़ों की सामूहिक हत्याएं
मौके पर बनाई गई वीडियो व फोटो काफी कुछ खुद ही बयां कर रहे हैं।
(सुनील गुप्ता, ब्यूरोचीफ)
देहरादून। एनजीटी और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियाँ उड़ती अगर देखना है तो फिर पधारो हमारे उत्तराखंड की राजधानी में एक बार!
दून के वर्तमान डीआईजी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बड़े बड़े दावे करते मैनेज मीडिया के माध्यम से सुर्खियाँ बटोरते अक्सर नजर आते हैं और कहते नजर आते हैं कि अपराधी चाहे कितना भी बड़ा ही क्यूँ ना हो, बख्शा नही जायेगा। परन्तु ये तो बातें हैं, बातों का क्या? इन्हीं के अधीनस्थ दबीजुबान से कहते हैं कि वे असमर्थ हैं अगर उन्होंने कोई कार्यवाही की तो बलि का बकरा वे बन जायेगें, जब ऊपर से ही इशारे हैं कि कोई नही जाएगा…!
ज्ञात हो कि सीएम हाउस व राजभवन से महज18-20 कि.मी. की दूरी पर थाना प्रेमनगर क्षेत्र अन्तर्गत मांडुवाला- नौगांव के डीबीआईटी कॉलेज रोड पर विगत दो तीन माह के अंदर ही लगभग डेढ़ सौ से दो सौ हरे व फलदार बृक्षों के बड़े बड़े बगीचों का सफाया दबंगई के साथ खुलेआम किया जा रहा है और साथ ही साथ सबूत व पेड़ों के निशान भी मिटा कर समतल और अवैध निर्माण भी किया जा रहा है।
सूत्रों की अगर यहां यह भी माने तो यहॉं अवैध निर्माण व प्लॉटिंग के मकसद से ही पेड़ो पर आरी चला दी गयी और पुलिस व प्रशानिक संबंधित विभागीय अधिकारी चुपचाप हत्याएँ होती देखते रहे।
यह भी बताया जा रहा है कि गाँववालों और प्रकृति प्रेमियों द्वारा दबंगो व प्रभावशाली इन लोंगों के इस प्रकार सामूहिक बृक्षों की अवैध हत्या की शिकायतें पुलिस, प्रशासन, सीएम पोर्टल सहित आला अफसरों आदि से कई बार की गई फिर भी यह अवैध पेड़ों का कटान नही रुका जो आज भी तेजी से जारी है। हालाँकि अब अधिकांश पेड़ कट चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि नियमानुसार तो हरे व फलदार बृक्षों की अनुमति बर्जित है तथा इन पहुँच बाले दबंगो ने फर्जी तरीकों से परमीशन कुछ और कारनामा कुछ कर दिखाया तथा पुलिस व अन्य सभी संबंधित विभागों से साँठगाँठ कर इस संगीन अपराध को कर दिखाया है।
देखना यहां गौर तलब होगा कि बड़े बड़े दावे करने बाले अधिकारी कुछ कार्यवाही करते भी है या फिर लीपापोती और एनजीटी व सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को ठेंगा दिखातें हैं!