जिला चिकित्सालय बीडी पांडे में एंटी टिटनेस इंजेक्शन का बना टोटा

जिला चिकित्सालय बीडी पांडे में एंटी टिटनेस इंजेक्शन का बना टोटा

 

(गुंजन मेहरा)

 

नैनीताल। नैनीताल के जिला चिकित्सालय बीड़ी पांडे में एंटी टिटनेस इंजेक्शन का संकट बना हुआ है। अस्पताल में आने वाले मरीजों को टिटनेश के इंजेक्शन बाहर से खरीद  कर लाने पड़ रहे हैं। बाजार में भी इंजेक्शनों की कमी हो रही है। इस सम्बन्ध में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि टिटनेश इंजेक्शन की मांग करने के बाद भी सप्लाई नही पा रही है। जिस कारण डिप्थीरिया मिश्रित टिटनेश इंजेक्शन ऑर्डर किए गए हैं।

बता दे कि शहर और समीपवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों के हजारों ग्रामीण बीडी पाण्डे अस्पताल में ही निर्भर है। अस्पताल में हाथ पांव कटने से बड़ी चोट लगने के रोजाना 10- से बारह मरीज ईलाज को पहुचते है। इसके अलावा शहर में आवारा कुत्तों के काटने के मामले भी सामने आते रहते है। ऐसे मरीजों को उपचार के साथ ही एंटी टिटनेस इंजेक्शन भी लगाए जाते है। मगर बीते एक सप्ताह से अस्पताल में टिटनेस के इंजेक्शनों का टोटा बना हुआ है। जिस कारण चिकित्सक मरीजों को बाहर से इंजेक्शन खरीदने की सलाह दे रहे है। ऐसे में मरीज बाहर से इंजेक्शन खरीद तो रहे है, लेकिन अब बाजार में भी इनकी कमी बन आयी है। अस्पताल पीएमएस डॉ केएस धामी ने बताया कि टिटनेस के इंजेक्शन की लंबे समय से डिमांड भेजी गई है, लेकिन ऊपर से ही स्ट्रॉक नही होने की बात की जा रही है। जिस कारण अब डिप्थीरिया टिटनेस इंजेक्शन मंगाए गए है। इन इंजेक्शनों में डिप्थीरिया की डोज कम और एंटी टिटनेस डोज की मात्रा अधिक है। सप्लाई आने पर मरीजों को आसानी से अस्पताल में उपलब्ध हो पाएगी।
नगर में आवारा कुत्तों की समस्या भी सबसे बड़ी है। रोजाना औसतन पांच के छह लोग कुत्तों के काटने के बाद उपचार के लिए अस्पताल पहुँचते है जिनको एंटी रेबीज के साथ ही टिटनेश का इंजेक्शन लगाना अनिवार्य होता है लेकिन ऐसे में यदि बाजारों में भी टिटनेश खत्म हो गया तो बड़ा संकट गहरा हो जाता है।
 अस्पताल के पीएमएस डॉ धामी ने बताया कि इमरजेंसी के लिए 50 इंजेक्शन बचा कर रखे गए हैं। जिनको आवश्यकता पड़ने पर उपयोग में लाया जा सकें।

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