रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स विवाद (retrospective tax dispute) में लगातार दूसरी शिकस्त के बाद केंद्र सरकार ने वोडाफोन (Vodafone tax dispute) मामले को लेकर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत (international arbitration court) के फैसले को सिंगापुर में चुनौती दी है. एक विश्वस्त सरकारी सूत्र ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को यह जानकारी दी है. यह विवाद 2 अरब डॉलर ( करीब 15000 करोड़) का है.
साल 2016 में वोडाफोन ने भारत सरकार के खिलाफ सिंगापुर के इंटरनैशनल आर्बिट्रेशन कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. यह मामला लाइसेंस फीस और एयरवेब्स के इस्तेमाल पर रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स क्लेम को लेकर दर्ज कराया गया था. इसी तरह के दूसरे विवाद में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत ने यूरोपियन ऑयल कंपनी केयर्न एनर्जी ( Cairn Energy) के पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट के फैसले के बाद अब भारत सरकार को इस कंपनी को 8800 करोड़ की रकम चुकानी होगी.
क्या है वोडाफोन टैक्स विवाद?
वोडाफोन साल 2007 में हांगकांग के हचिसन ग्रुप के मालिक Hutchison Whampoa के मोबाइल बिजनेस हचिसन-एस्सार में 11 अरब डॉलर निवेश कर 67 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी. इस डील के साथ ही उसने भारतीय टेलिकॉम सेक्टर में कदम रखा था. इस डील को लेकर भारतीय इनकम टैक्स डिपार्टमेंट वोडाफोन से कैपिटल गेन टैक्स की मांग कर रहा था. इसके कुछ समय बाद रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स भी मांगा गया. साल 2007 में हुई इस डील को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लगातार विद होल्डिंग टैक्स की डिमांड कर रहा था. आखिर में थक-हार कर वोडाफोन ने साल 2012 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की.
2014 में फैसले को चुनौती
वोडाफोन से 3 जनवरी 2013 को 14,200 करोड़ रुपए के टैक्स (बिना पेनाल्टी के) की मांग की गई. वोडाफोन ने 2014 में इस फैसले को चुनौती दी और जब दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी को 22,100 करोड़ रुपए का टैक्स नोटिस भेज दिया. ये भी कहा गया कि टैक्स न भरने पर वोडाफोन की भारत में स्थित संपत्ति जब्त कर ली जाएगी.
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स क्या होता है?
जब रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स की इतनी चर्चा हो रही है तो यह भी समझना जरूरी है कि आखिरकार यह क्या होता है और यह इतना विवादित क्यों है.रेट्रोस्पेक्टिव टैक्सेशन वह कानूनी प्रक्रिया है जिसे किसी देश की सरकार कानून पास होने की तारीख से पहले लागू करती है. आसान शब्दों में अगर टैक्स संबंधी कोई कानून 24 दिसंबर को पास होता है और सरकार किसी मामले को लेकर उस कानून को 24 दिसंबर 2020 से पहले की तारीख में लागू करती है तो यह रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स कहलाता है. किसी देश की सरकार ऐसा इसलिए करती है ताकि टैक्स डिपार्टमेंट को टैक्स वसूली में आसानी हो. अगर कोई कंपनी वर्तमान नियम को चैलेंज करती है तो सरकार रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स रूट का सहारा लेती हैं और अपने वर्तमान कानून में संशोधन करती हैं. बाद में उसे पुरानी तारीख से लागू कर दिया जाता है.