महामारी की मार: बंद हो सकते हैं 75 फीसदी ​Startups – Polkhol

महामारी की मार: बंद हो सकते हैं 75 फीसदी ​Startups

नई दिल्ली. साल 2020 ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से कई सेक्टर्स को बड़ा झटका दिया है. स्टार्टअप्स (Startups) भी इससे अछूता नहीं रहा है. नये टेक स्टार्टअप्स की बात करें तो 2020 में इसमें 44 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट आई है. 2019 में कुल नये टेक स्टार्टअप की संख्या 5,509 थी, जोकि 44.4 फीसदी कम होकर 3,061 हो गया है.

2020 में टेक स्टार्टअप्स द्वारा जुटाया गया कुल इक्विटी फंडिंंग (Equity Funding) 30.9 फीसदी घटकर 11.4 अरब डॉलर पर आ गया है. 2019 में यह आंकड़ा 16.5 अरब डॉलर पर था. 2020 में ये फंड्स 1,152 राउंड्स में जुटाए गए थे, जिसमें से 448 फंडिंग सीरीज A + थे. कुल 909 इन्वेस्टर्स में से 365 इन्वेस्टर्स पहली बार के लिए थे, जबकि 505 अंतरराष्ट्रीय इन्वेस्टमेंट्स थे. इस साल 12 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स (Unicorn Startups) उभरे हैं. ये आंकड़े स्टार्टटप इंटेलीजेंस कंपनी Tracxn द्वारा जुटाया गया है.

किस तरह के बिजनेस मॉडल्स पर रहा फोकस?
पिछले साल सबसे पॉपुलर बिजनेस मॉडल्स में बाइजूस और अनएकेडेमी जैसे टेस्ट की तैयारी कराने वाले, फूड डिलीवरी, डिजिटल वॉलेट्स, इंटरनेट फर्स्ट रेस्टोरेंट्स, ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक्स सर्विसेज, वर्नाकुलर न्यूज एग्रीगेटर्स जैसे कुछ मॉडल्स शामिल रहे. सिकोया कैपिटल (Sequoia Capital) ने 106 ​डील्स के जरिए कुल 5.1 अरब डॉलर का निवेश किया है, जबकि 48 ​डील्स के जरिए मैट्रिक्स पार्टनर्स ने 1.8 अरब डॉलर का निवेश किया है. ब्लूम वेंचर्स ने 50 डील्स के जरिए 1.7 अरब डॉलर और एस्सेल ने 56 डील्स के जरिए 1.1 अरब डॉलर का निवेश किया है.

वर्तमान में भारत में 73,000 से ज्यादा स्टार्टअप्स हैं, जिनमें से करीब 8,000 फंडेड स्टार्टअप्स हैं. एक मीडिया रिपोर्ट में जानकारों के हवाले से अनुमान लगाया गया है कि इन आंकड़ों में 75 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है.

इस रिपोर्ट में कहा गया कि आने वाले 12 महीनों में कोविड-19 महामारी की वजह से करीब 75 फीसदी स्टार्टअप्स बंद पड़ जाएंगे. लेकिन, ये स्टार्टअप्स भले ही फेल हो जाएं, लेकिन इन्हें खड़ा करने वाले उद्यमी नहीं फेल होंगे. वे नये बिजनेस मॉडल्स और नये मौकों के साथ एक बार फिर उभरेंगे.

जानकारों का कहना है कि स्टार्टअप्स ऐसे ही मुनाफा नहीं कमाते हैं. वे जोखिम उठाते हैं और एक ऐसा प्रोडक्ट तैयार करते हैं, जो मार्केट के लिए फिट हो. वे यह देखते हैं​ कि ​क्या उनके प्रोडक्ट की डिमांड है और फिर इसी आधार पर बदलाव करते हैं. कैश फ्लो से पहले वे रिस्क कैपिटल या वेंचर कैपिटल के पर उन्हें निर्भर रहना पड़ता है. लेकिन, महामारी की वजह से रिस्क कैपिटल नहीं मिल रहे हैं. दरअसल, मौजूदा दौर में किसी को यह नहीं पता है कि यह महामारी आखिर कितने समय तक रहेगी.

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